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नक्सलियों का आत्मसमर्पण भी जारी, तीन और ने हिंसा का रास्ता छोड़ा

Surrender of Naxalites

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाया जा रहा 'माड़ बचाओ अभियान' अपना असर दिखाने लगा है। नक्सल क्षेत्र में इस अभियान की सफलता की चमकदार तस्वीर नजर आने लगी है, जिसके तहत माओवादी हथियार छोड़कर घर वापसी कर रहे हैं।

नारायणपुर जिले में तीन माओवादियों ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में आत्मसमर्पण किया है। नारायणपुर में आत्मसमर्पण नीति 'माड़ बचाओ अभियान' से प्रभावित होकर तीन माओवादियों ने अपने हथियार डाल दिए।

दो दिन पहले ग्राम कुतुल में जन सुविधा और सुरक्षा कैंप स्थापित किया गया था। रविवार को कुतुल एरिया कमेटी के माओवादियों ने इसी कैंप से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया। वर्ष 2024 से अब तक 79 से अधिक बड़े और छोटे कैडर के माओवादियों ने सरेंडर किया है। इसके पीछे नारायणपुर क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों को एक मुख्य कारण माना जा रहा है।

आंतरिक मतभेद और संगठन से मोहभंग भी आत्मसमर्पण का एक बड़ा कारण बन रहे हैं। राज्य शासन की योजना के अनुसार, सरेंडर करने वाले नक्सलियों को 25 हजार रुपये का प्रोत्साहन राशि का चेक दिया जाता है। इसके साथ ही शासन की सभी सुविधाओं का लाभ भी उन्हें मिलता है। इन सरेंडर करने वाले नक्सलियों में शामिल हैं:

रैनू उसेण्डी, उम्र 48 वर्ष, निवासी फरसबेड़ा, जनताना सरकार के अध्यक्ष।

मैनू वडदा, उम्र 45 वर्ष, निवासी कोडकामरका, जनताना सरकार के सदस्य।

सन्नू उसेण्डी, उम्र 35 वर्ष, निवासी फरसबेड़ा, जनताना सरकार के सदस्य।

नारायणपुर पुलिस, आईटीबीपी, बीएसएफ और एसटीएफ के संयुक्त प्रयास से नक्सल विरोधी अभियान लगातार चल रहे हैं।

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