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Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन आज, जानिए मां स्कंदमाता का स्वरूप, पूजा विधि, भोग और सामग्री

Navratri 2025

Navratri 2025: धर्म डेस्क: शारदीय नवरात्र का पर्व देवी दुर्गा की उपासना और साधना का विशेष अवसर है। नौ दिनों तक मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। पंचमी तिथि पर मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की आराधना का विधान है। स्कंदमाता का अर्थ है भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता, इसी कारण देवी को यह नाम प्राप्त हुआ। शास्त्रों के अनुसार उनकी कृपा से भक्त को सुख-समृद्धि, आरोग्य और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।


Navratri 2025: इस वर्ष पंचमी तिथि 27 सितंबर को है। पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे। विशेष रूप से संध्या पूजा का समय शाम 6:30 बजे से 7:42 बजे तक रहेगा। इस दौरान मां स्कंदमाता की उपासना करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने और जीवन की बाधाएं दूर होने का विश्वास किया जाता है।


Navratri 2025: मां स्कंदमाता का स्वरूप

देवी स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत मनोहर है। शास्त्रों में उन्हें सिंह पर सवार, चार भुजाओं वाली देवी के रूप में वर्णित किया गया है। उनके दो हाथों में कमल पुष्प होते हैं, एक हाथ वरद मुद्रा में आशीर्वाद देता है और उनकी गोद में बालरूप कार्तिकेय विराजमान रहते हैं। मां कमल के आसन पर विराजमान होती हैं, इसलिए उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।


Navratri 2025: पूजा विधि

पंचमी के दिन भक्तों को मां के श्रृंगार में शुभ रंगों का प्रयोग करना चाहिए। पूजा में कुमकुम, चंदन, अक्षत, पुष्प और फल अर्पित करें तथा घी का दीपक जलाकर स्तुति करें। विशेष रूप से इस दिन मां को केले का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि केले का प्रसाद ब्राह्मण को दान करने से बुद्धि का विकास होता है और साधक जीवन में प्रगति के साथ परिवार में सुख-शांति प्राप्त करता है।


Navratri 2025: मां स्कंदमाता के मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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