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दिल्ली विधान सभा चुनाव, जब प्याज ने रुलाया था, सरकार गिराया था

दिल्ली विधान सभा चुनाव

दिल्ली में बीजेपी की वापसी का सवाल: क्या 27 साल बाद इतिहास बदलेगा?

नई दिल्ली। दिल्ली की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 27 साल से सत्ता से बाहर है, लेकिन 2025 के एग्जिट पोल संकेत दे रहे हैं कि पार्टी इस बार वापसी कर सकती है। हालांकि, बीजेपी को 1993-1998 के अपने अस्थिर शासन और 1998 के चर्चित प्याज संकट की छवि से उबरना होगा, जिसने उसकी सत्ता समाप्त कर दी थी।

1998: जब प्याज की कीमतों ने सत्ता पलट दी

साल 1998 में प्याज की कीमतें 40-50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थीं, जिससे जनता में भारी आक्रोश फैल गया था। प्याज भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है, और इसके दामों में बेतहाशा वृद्धि ने बीजेपी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए। इसका नतीजा यह हुआ कि दिसंबर 1998 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को करारी हार मिली और शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में आ गई।

1993-1998: पांच साल में तीन मुख्यमंत्री, अस्थिर सरकार

बीजेपी ने 1993 में दिल्ली के पहले विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर सरकार बनाई, लेकिन अगले पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बदलना पड़ा, जिससे पार्टी की अंदरूनी कलह और प्रशासनिक अस्थिरता उजागर हुई।

मदन लाल खुराना (1993-1996): एक लोकप्रिय नेता थे, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते 1996 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। पार्टी ने उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाने से इनकार कर दिया, जिससे बीजेपी के भीतर गहरी नाराजगी फैल गई।

साहिब सिंह वर्मा (1996-1998): उनके कार्यकाल में 1998 का प्याज संकट सबसे बड़ा मुद्दा बना। प्याज के दाम 50 रुपये प्रति किलो तक पहुंचने से जनता भड़क गई और बीजेपी को महंगाई के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।

सुषमा स्वराज (1998 - 52 दिन की सरकार): चुनाव से ठीक पहले, बीजेपी ने अंतिम कोशिश के रूप में सुषमा स्वराज को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन महज 52 दिनों में छवि सुधारना संभव नहीं था, और चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड जीत दर्ज की।

1998 का प्याज संकट: आखिर क्या हुआ था?

जनवरी 1998: असमय बारिश के कारण प्याज उत्पादन प्रभावित हुआ, जिससे कीमतें 9-12 रुपये प्रति किलो से 20-25 रुपये हो गईं।

मार्च-जुलाई 1998: सरकार ने निर्यात दोबारा शुरू कर दिया, लेकिन गर्मी की लहर (हीटवेव) ने रबी फसल को नुकसान पहुंचाया, जिससे अगस्त में दाम 28 रुपये प्रति किलो हो गए।

सितंबर-अक्टूबर 1998: लगातार बारिश से खरीफ फसल भी प्रभावित हुई, और प्याज की कीमतें 50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं।

सरकार की देरी: केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने स्थिति को देर से संभालने की कोशिश की और आयात की घोषणा की, लेकिन तब तक जनता का गुस्सा भड़क चुका था।

1998 चुनाव: कांग्रेस की जीत और शीला दीक्षित का युग

बीजेपी की सीटें घट गईं, जबकि कांग्रेस ने शीला दीक्षित के नेतृत्व में शानदार जीत दर्ज की। शीला दीक्षित 15 साल (1998-2013) तक मुख्यमंत्री रहीं और उन्होंने इन्फ्रास्ट्रक्चर, पानी आपूर्ति, सार्वजनिक परिवहन में सुधार कर कांग्रेस की पकड़ मजबूत की। दिल्ली मेट्रो नेटवर्क का विस्तार उनके शासन में हुआ, जिसने शहर के विकास को नई दिशा दी।

2013 में राजनीति में नया मोड़: आम आदमी पार्टी (AAP) की एंट्री

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने 2013 में कांग्रेस-बीजेपी की पारंपरिक लड़ाई को खत्म कर दिया। 2015 में AAP ने 70 में से 67 सीटें जीतीं, जिससे बीजेपी सिर्फ 3 सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस पूरी तरह साफ हो गई। 2020 में भी AAP ने 62 सीटें जीतकर अपनी पकड़ मजबूत रखी।

2025: क्या बीजेपी सत्ता में वापसी करेगी?

अब, एग्जिट पोल संकेत दे रहे हैं कि बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी कर सकती है। लेकिन इसका रास्ता आसान नहीं होगा: ✅ बीजेपी को अपने पिछले अस्थिर शासन और 1998 की नाकामी से उबरना होगा। ✅ पार्टी को महंगाई और प्रशासनिक कुशलता पर जनता का विश्वास जीतना होगा। ✅ AAP की मजबूत पकड़ को तोड़ने के लिए नया विजन पेश करना होगा। आखिरी फैसला चुनाव नतीजे ही तय करेंगे कि क्या दिल्ली के मतदाता बीजेपी को दोबारा मौका देंगे या पुराने घाव आज भी ताजा हैं।

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