Nobel Prize 2025: साहित्य नोबेल पुरस्कार विजेता बने हंगरी के लेखक लास्ज़लो क्राज़्नाहोरकाई

Nobel Prize 2025: स्टॉकहोम। साहित्य के लिए वर्ष 2025 का नोबेल पुरस्कार हंगरी के प्रख्यात लेखक लास्ज़लो क्राज़्नाहोरकाई को प्रदान किया गया है। उन्हें उनकी गहन और दूरदर्शी रचनाओं के लिए यह सम्मान मिला है, जो मानवता, नश्वरता और कला की शक्ति को अद्वितीय रूप से उजागर करती हैं। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि क्राज़्नाहोरकाई की रचनाएं, विशेष रूप से उनकी कृति सियोबो देयर बिलो, चीन और जापान की यात्राओं से प्रेरित हैं और सर्वनाशकारी परिदृश्यों के बीच कला की संवेदनशीलता को रेखांकित करती हैं।
Nobel Prize 2025: लास्ज़लो क्राज़्नाहोरकाई का जन्म 1954 में हंगरी के दक्षिण-पूर्वी कस्बे ग्युला में हुआ था, जो रोमानियाई सीमा के निकट है। उनका पहला उपन्यास सातांतंगो (1985) साम्यवाद के पतन से ठीक पहले हंगरी के ग्रामीण जीवन की जटिलताओं को दर्शाता है। यह उपन्यास एक बेसहारा समुदाय की कहानी बयान करता है, जो चमत्कार की उम्मीद में जी रहा है, लेकिन काफ्का के दर्शन से प्रेरित शुरुआती पंक्तियों में ही यह उम्मीद टूट जाती है। इस कृति को 1994 में निर्देशक बेला तार के सहयोग से एक प्रभावशाली फिल्म के रूप में भी प्रस्तुत किया गया।
Nobel Prize 2025: उनकी एक अन्य महत्वपूर्ण कृति, 2003 में प्रकाशित एज़्ज़क्रोल हेगी, डेल्रोल टो, न्युगाट्रोल उताक, केलेट्रोल फोल्यो, क्योटो के दक्षिण-पूर्व में घटित एक रहस्यमयी और काव्यात्मक कहानी है। यह उपन्यास उनकी बाद की रचना सियोबो जार्ट ओडालेंट (2008; अंग्रेजी में सियोबो देयर बिलो, 2013) की प्रस्तावना का आधार बनता है। क्राज़्नाहोरकाई की रचनाएं पूर्वी दर्शन और सूक्ष्म संवेदनाओं से प्रभावित हैं, जो उनकी लेखन शैली को विशिष्ट बनाती हैं।
Nobel Prize 2025: रॉयल स्वीडिश एकेडमी ने क्राज़्नाहोरकाई के कार्यों को “चिंतनशील और संतुलित” बताते हुए उनकी रचनाओं में गहरे सांस्कृतिक और दार्शनिक प्रभावों की सराहना की। यह पुरस्कार न केवल उनके साहित्यिक योगदान को सम्मानित करता है, बल्कि विश्व साहित्य में हंगरी की मौजूदगी को भी रेखांकित करता है।