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US Tariff: अमेरिका के 50% टैरिफ से चुनौती से निपटने भारत तैयार, दिवाली तक मोदी सरकार कर सकती है ये बड़ी घोषणाएं, NITI आयोग ने दिए ये संकेत

US Tariff

US Tariff: नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ से भारतीय निर्यात को गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है। पिछले साल अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा था, लेकिन इस टैरिफ से भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होने की आशंका है। फिर भी, भारत सरकार लगातार आर्थिक सुधारों के माध्यम से विकास की गति बनाए रखने के प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चुनौती के जवाब में स्वदेशी अपनाने की अपील की है, ताकि घरेलू उद्योग मजबूत हों। हाल ही में जीएसटी रिफॉर्म जैसे कदम उठाकर सरकार ने निर्यातकों को राहत देने की कोशिश की है। इसी कड़ी में नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने रविवार को संकेत दिए कि दिवाली तक आर्थिक सुधारों की दिशा में नई घोषणाओं का दौर शुरू हो सकता है।


US Tariff: नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन जल्द लॉन्च की उम्मीद

अमेरिकी टैरिफ से निपटने सरकार 'नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन' को जल्द लॉन्च करने की तैयारी में है, जो 'मेक इन इंडिया' को नई गति देगा। इस मिशन का लक्ष्य मैन्युफैक्चरिंग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना, औद्योगिक आधार को विविधता प्रदान करना और भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जोड़ना है। बजट 2025-26 में इसकी घोषणा हो चुकी है, जो छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों को कवर करेगा। इसमें ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, वर्कफोर्स रेडीनेस, तकनीक उपलब्धता और उत्पाद गुणवत्ता पर फोकस होगा। विशेष रूप से सोलर सेल, ईवी बैटरी और हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन उपकरण जैसे क्लीन टेक क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा।


US Tariff: मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट देने 13-14 क्षेत्रों में सुधार की तैयारी

नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत बनाने पर पूरा फोकस कर रही है। उन्होंने बताया कि 13-14 प्रमुख क्षेत्रों में सुधार की तैयारियां चल रही हैं, जिनमें व्यापार (ट्रेड) और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) पर विशेष जोर है। सुब्रह्मण्यम ने कहा,ये सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। सुधारों से उत्पादन क्षमता, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। US Tariff: उन्होंने जोर देकर कहा कि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली कई समितियां अपने प्रस्तावित सुधारों पर पहली रिपोर्ट सौंप चुकी हैं, जो संरचनात्मक सुधारों को गति प्रदान कर रहा है। सुब्रह्मण्यम ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत को उन उत्पादों पर फोकस करना चाहिए, जिनकी वैश्विक मांग अधिक है, न कि पुराने दबदबे वाले क्षेत्रों पर। "दुनिया आगे बढ़ चुकी है, भारत को भी नई वैल्यू चेन में शामिल होना होगा," उन्होंने कहा।


US Tariff: वैश्विक बाजार में निर्यात बढ़ाने का संकल्प

सुब्रह्मण्यम ने कहा कि निर्यात वृद्धि सरकार की प्राथमिकता है। भारत अभी भी उन वस्तुओं का व्यापार करता है, जो वैश्विक स्तर पर कम मांग वाली हैं। अब फोकस ऐसे उत्पादों पर होगा, जिनकी विश्वव्यापी मांग हो। यह कदम अमेरिकी टैरिफ जैसे बाहरी दबावों से निपटने में मददगार साबित होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ये सुधार भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे, खासकर जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितताओं से जूझ रही हो। दिवाली से पहले की इन घोषणाओं से निवेशकों में उत्साह है, और बाजार में सकारात्मक संकेत दिख रहे हैं।

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