बांधवगढ़ से रेस्क्यू कर भोपाल लाए गए बाघ के गले पर कई घाव के निशान, इलाज जारी

भोपाल। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू कर वन विहार लाए गए बाघ के गले में चारों ओर घाव हो गया है। उसके दाएं पैर में मल्टीपल फ्रैक्चर भी है, जिसका इलाज वन विहार के डॉक्टरों ने शुरू कर दिया है। बाघ को दो दिन पहले बांधवगढ़ से वन विहार लाया गया है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गले में फंदा फंस जाने के बाद पांच दिन तक बाघ छोटा भीम जंगल में घूमता रहा था।
पांच हाथियों और 80 कर्मचारियों की मदद से उसका रेस्क्यू किया गया था। बाघ का मूवमेंट देखने के लिए 100 कैमरे भी लगाए गए थे। रेस्क्यू के बाद बाघ को इलाज के लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से वन विहार भोपाल लाया गया है, जहां डॉक्टरों की निगरानी में उसका इलाज किया जा रहा है। गौरतलब है कि टाइगर रिजर्व में पर्यटकों ने बाघ के गले में फंदा लगा देखा था।
इसकी जानकारी पर्यटकों ने टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को दी थी। इसके बाद टाइगर रिजर्व की टीम ने उसका रेस्क्यू किया। टाइगर रिजर्व में शिकारियों द्वारा फंदा लगाकर वन्यप्राणियों के शिकार की आशंका जताई जा रही है, जिसमें बाघ की गर्दन फंस गई थी।
6 से 7 साल का है घायल बाघ
वन विहार के डॉक्टरों ने बाघ का इलाज शुरू कर दिया है। डॉ. एसके तुमडिया राज्य पशु चिकित्सालय, डॉ. अतुल गुप्ता वरिष्ठ वन्यप्राणी स्वास्थ्य अधिकारी वन विहार, डॉ. रजत कुलकर्णी वन्यप्राणी चिकित्सक वाइल्ड लाइफएसओएस वन विहार और डॉ. वैभव शुक्ला वन्यप्राणी चिकित्सक मुख्यालय भोपाल द्वारा बाघ का इलाज किया गया। बाघ को बेहोश कर स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जिसमें पाया कि घायल नर बाघ की गर्दन के चारों ओर गहरे घाव हैं और गर्दन के नीचे भी गहरा घाव है। साथ ही घायल नर बाघ के आगे के दाएं पैर के निचले भाग में मल्टीपल फ्रैक्चर भी है।