बजट 2025-26: बिहार पर फोकस, साल के अंत में चुनाव

बजट 2025-26: रोजगार और मध्यम वर्ग पर केंद्रित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणाएँ
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में बजट 2025-26 पेश किया, जिसमें रोजगार सृजन को ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को प्रमुख रूप से फोकस किया गया है। हालिया लोकसभा और विधानसभा चुनावों में गरीबों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं लागू करने के बाद, इस बार के बजट में सरकार ने मध्यम वर्ग को कर छूट देकर खुश करने का प्रयास किया।
साथ ही, बिहार के लिए कई विकास परियोजनाओं की घोषणा की गई, जिससे वहां के मतदाताओं को भी साधने की कोशिश की गई।
मध्यम वर्ग पर खास ध्यान
दिल्ली विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, जहां मतदान बुधवार को होगा, सरकार ने मध्यम वर्ग के लिए कई घोषणाएँ की हैं। इसके अलावा, सरकार ने हाल ही में आठवें वेतन आयोग की स्थापना की भी घोषणा की थी। दिल्ली की 1.55 करोड़ की मतदाता संख्या में मध्यम वर्ग की बड़ी भागीदारी है। वहीं, देश के विभिन्न शहरों में होने वाले नगर निगम चुनावों, खासकर सबसे धनी ब्रिहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के चुनाव को देखते हुए भी सरकार ने इस वर्ग को लुभाने के प्रयास किए हैं।
वित्त मंत्री के बजट भाषण में "मध्यम वर्ग" शब्द नौ बार आया, जबकि पिछले वर्ष के बजट में यह मात्र तीन बार उल्लेखित हुआ था।
बिहार और असम को विशेष प्राथमिकता
बिहार के लिए घोषित परियोजनाएँ पिछले वर्ष 2024-25 के बजट में आवंटित ₹59,000 करोड़ के अतिरिक्त हैं, जो सड़क संपर्क, बिजली और बाढ़ प्रबंधन जैसी आवश्यकताओं के लिए दिए गए थे।
इस बार के बजट में बिहार का आधा दर्जन बार उल्लेख हुआ है, जबकि असम दूसरा ऐसा राज्य है जिसका उल्लेख किया गया है। असम में अप्रैल-मई 2025 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, और बजट में वहां नामरूप में 1.27 मिलियन टन वार्षिक क्षमता वाला यूरिया संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और पलायन रोकने की योजना
सरकार ने ग्रामीण से शहरी पलायन को रोकने के लिए MSMEs के जरिए रोजगार बढ़ाने की पहल की है। इसके तहत "ग्रामीण समृद्धि और लचीलापन" (Rural Prosperity and Resilience) नामक एक बहु-क्षेत्रीय योजना की घोषणा की गई है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है ताकि पलायन आवश्यकता के बजाय एक विकल्प बने।
जनगणना 2021 की संभावना कम
बजट में जनगणना 2021 के लिए मात्र ₹574.80 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जिससे इस वर्ष भी इसकी संभावना कम दिख रही है। 2019 में केंद्रीय कैबिनेट ने जनगणना के लिए ₹8,754.23 करोड़ और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) अपडेट के लिए ₹3,941.35 करोड़ स्वीकृत किए थे। हालांकि, 2020 में कोविड-19 के कारण यह प्रक्रिया स्थगित हो गई थी।