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हरदा हादसे को 1 साल बीता, पीड़ितों को अब तक नहीं मिला उचित मुआवजा, सरकारी वकील ने दिया ब्याज वसूलने का सुझाव

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ऐसे में हरदा कलेक्टर अटैच प्रॉपर्टी की नीलामी प्रक्रिया कर सकते हैं।

MP News : भोपाल। पिछले साल मध्य प्रदेश के हरदा में हुए भीषण फटाका फैक्ट्री हादसे को 1 साल पूरा हो गया है। 1 साल से ज्यादा का समय होने के बावजूद भी अब तक इस हादसे में जान गंवाने वाले, घायल और मकान खोने वाले सभी पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिल पाया है। इस मामले में एनजीटी की सेंट्रल बेंच में हाल में सुनवाई हुई। इसमें राज्य सरकार के वकील ने भुगतान में देरी पर कारखाना संचालकों से छह प्रतिशत सालाना ब्याज वसूल कर मृतकों के परिजनों को देने का सुझाव दिया।


MP News : सरकारी अधिवक्ता ने एनजीटी को यह भी बताया कि हादसे में जिन लोगों के मकान टूट गए, बेघर हो गए, उनके रहने-खाने का इंतजाम जिला प्रशासन कर रहा है। इस पर हर महीने सात से आठ लाख रुपए खर्च हो रहा है। पीड़ितों पर हो रहे इस खर्च के भुगतान की जिम्मेदारी कारखाना संचालकों की है। ट्रिब्यूनल को यह भी बताया गया कि संचालकों ने कोई आपत्ति नहीं की है और न ही पीड़ितों के ठहरने, खाने की व्यवस्था की है। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने कलेक्टर को रेवेन्यू एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक राशि वसूल करने की छूट दी है।


MP News : यहां बता दें कि छह फरवरी, 2024 को हरदा स्थित पटाखा फैक्ट्री में भयंकर हादसा हुआ था।। दुर्घटना के बाद कारखाना संचालकों की संपत्तियां जिला प्रशासन ने अटैच कर ली थी। संचालक इसके खिलाफ हाई कोर्ट चले गए थे। वहां ऑफर दिया था कि संपत्तियों के लिए मिली बिड के मुकाबले नीलामी से इससे ज्यादा राशि की व्यवस्था कर सकते हैं। ट्रिब्यूनल ने कहा कि संचालकों ने हाई कोर्ट में दी अंडरटेकिंग पर अमल नहीं किया। ऐसे में हरदा कलेक्टर अटैच प्रॉपर्टी की नीलामी प्रक्रिया कर सकते हैं।

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