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'One country, one election': 'एक देश, एक चुनाव' पर JPC की पूर्व CJI के साथ अहम बैठक, विपक्ष ने जताई चिंता

One country, one election

'One country, one election': नई दिल्ली: देशभर में 'एक देश, एक चुनाव' (ONOE) के मुद्दे पर चर्चा जोर पकड़ रही है। मंगलवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना से इस विषय पर बातचीत करेगी। समिति का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की संभावनाओं का अध्ययन करना है। इससे पहले समिति ने शिक्षाविदों और पूर्व सांसदों से चर्चा की, जिन्होंने एक साथ चुनाव के फायदों पर जोर दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे नीति-निर्माण में रुकावटें कम होंगी, प्रशासन बेहतर होगा और चुनावी प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित होगी।


'One country, one election': जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि विशेषज्ञों ने 'एक देश, एक चुनाव' को देश के विकास और स्थायित्व के लिए जरूरी बताया है। उन्होंने कहा, "अगर देश को तेजी से आगे बढ़ाना है, तो यह कदम आवश्यक है।" हालांकि, विपक्षी दलों और आलोचकों ने इस प्रस्ताव पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि इससे संघवाद, राज्यों की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय आवाजें कमजोर हो सकती हैं।


'One country, one election': इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 82, 83, 172 और 327 में संशोधन और केंद्र शासित प्रदेश कानून में बदलाव की जरूरत होगी। लोकसभा ने समिति को अपनी रिपोर्ट 2025 के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह तक सौंपने का समय दिया है। पहले यह समयसीमा दिसंबर 2024 थी। 39 सदस्यीय जेपीसी में 27 लोकसभा और 12 राज्यसभा सांसद शामिल हैं, जिनमें भाजपा, कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना (यूबीटी) के सदस्य हैं।

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