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Mahashivratri 2025 : महाशिवरात्रि पर्व में इस बार एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर रहेगा बंद, श्रद्धालुओं में निराशा, जानें क्या है वजह...

Mahashivratri 2025

लेकिन कोविड महामारी के बाद से लगातार तीसरे साल भी मंदिर के कपाट बंद रहेंगे।

Mahashivratri 2025 : जयपुर। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर जयपुर के मोती डूंगरी स्थित एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के कपाट इस साल भी श्रद्धालुओं के लिए नहीं खुलेंगे। मंदिर प्रशासन ने इस संबंध में सूचना जारी कर दी है, जिसके बाद भक्तों में निराशा है। यह मंदिर साल में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि के दिन ही खोला जाता है, लेकिन कोविड महामारी के बाद से लगातार तीसरे साल भी मंदिर के कपाट बंद रहेंगे।


Mahashivratri 2025 : बता दें कि एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर प्रशासन ने बताया कि इस साल भी अपरिहार्य कारणों से मंदिर के कपाट नहीं खोले जाएंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर लगाई गई सूचना में यह जानकारी दी गई है। इस निर्णय की जानकारी पूर्व राजमाता गायत्री देवी के पौत्र महाराज विजय सिंह ने दी है। बताया जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन के लिए भक्त मीलों दूर से आते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन से श्रद्धालुओं को शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। लेकिन, इस साल भी मंदिर के कपाट बंद रहने से भक्तों को निराशा होगी।


Mahashivratri 2025 : मंदिर का इतिहास- जयपुर के मोती डूंगरी पर स्थित एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण जयपुर की स्थापना से भी पहले हुआ था। मंदिर में भगवान शिव के शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शंकर के साथ पार्वती और उनका परिवार मंदिर में स्थापित था, लेकिन कुछ समय बाद उनकी मूर्तियां गायब हो गईं। इस घटना के बाद इस मंदिर में कोई दूसरी मूर्ति स्थापित नहीं की गई।


Mahashivratri 2025 : मंदिर की विशेषता-
यह मंदिर साल में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि के दिन ही आम लोगों के लिए खोला जाता है। इस दिन भक्तों को भगवान शिव के दर्शन के लिए 1 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। मंदिर में पूजा-अर्चना सिर्फ जयपुर के राजपरिवार द्वारा ही की जाती है।


Mahashivratri 2025 : श्रद्धालुओं की मांग-
श्रद्धालुओं का मानना है कि महाशिवरात्रि के दिन मंदिर खोला जाना चाहिए, ताकि वे भगवान शिव के दर्शन कर सकें। उन्होंने मंदिर प्रशासन से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है। यह निर्णय श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी निराशा का कारण बना है। अब सभी की नजर मंदिर प्रशासन पर टिकी है कि क्या भक्तों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय में कोई बदलाव किया जाएगा।

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