ISRO का TSTO Space Plane : 10 मैक की रफ्तार और अंतरिक्ष से दुश्मनों पर करारा प्रहार...

- Rohit banchhor
- 24 Jan, 2025
10 मैक (हाइपरसोनिक) की अविश्वसनीय रफ्तार से अंतरिक्ष में मिसाइल दागने की क्षमता भी रखता है।
TSTO Space Plane : नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। TSTO (Two Stage To Orbit) Space Plane के रूप में भारत ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जो रक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। यह स्पेस प्लेन न केवल धरती से सैटेलाइट लॉन्च कर सकता है, बल्कि 10 मैक (हाइपरसोनिक) की अविश्वसनीय रफ्तार से अंतरिक्ष में मिसाइल दागने की क्षमता भी रखता है।
TSTO Space Plane : TSTO Space Plane की विशेषताएं-
अविश्वसनीय रफ्तार: TSTO Space Plane 9-10 मैक की स्पीड से अंतरिक्ष में प्रवेश करता है। यह स्पीड इतनी तेज है कि इसे न तो रडार पकड़ पाएगा और न ही कोई दुश्मन डिटेक्ट कर सकेगा।
मल्टी-रोल क्षमताएं: यह स्पेस प्लेन सैटेलाइट लॉन्च करने के साथ-साथ दुश्मन के ठिकानों पर हाइपरसोनिक मिसाइलों से हमला करने में सक्षम है।
इंजन टेक्नोलॉजी: इस स्पेस प्लेन में Turbojet, Ramjet और Scramjet जैसे एडवांस्ड इंजन का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे 15 से 27 किलोमीटर तक की ऊंचाई को पार करने और अंतरिक्ष में प्रवेश करने की शक्ति प्रदान करते हैं।
अदृश्यता: यह स्पेसक्राफ्ट इतनी उन्नत तकनीक से लैस है कि इसे रडार से पकड़ना असंभव है। साथ ही, इसकी स्पीड इतनी तेज है कि सीधी आंख से देख पाना भी मुश्किल है।
TSTO Space Plane : 2030 तक पूरा होगा प्रोजेक्ट-
ISRO ने इस प्रोजेक्ट को 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। TSTO Space Plane के सफल विकास से भारत न केवल अपनी रक्षा क्षमताओं में बढ़त हासिल करेगा, बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।
TSTO Space Plane : दुनिया की पहली तकनीक-
यह Space Plane वर्तमान में दुनिया के किसी भी देश, जैसे अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, और ब्रिटेन के पास नहीं है। यह भारत को वैश्विक रक्षा और अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी में एक अजेय शक्ति बनाएगा।
TSTO Space Plane : युद्ध और अंतरिक्ष अनुसंधान में क्रांति-
TSTO Space Plane भारतीय सेना को तकनीकी बढ़त प्रदान करेगा, जिससे युद्धक्षेत्र में दुश्मनों पर सटीक और घातक प्रहार किए जा सकेंगे। इसके अलावा, यह अंतरिक्ष अनुसंधान और सैटेलाइट लॉन्चिंग में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।