सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा के खिलाफ याचिका खारिज की: कहा- दूसरे देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप 'बेमानी'

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर जारी हिंसा और उत्पीड़न को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए सवाल उठाया कि अदालत किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी कैसे कर सकती है। पीठ ने इसे "बेहद असामान्य" करार देते हुए कहा, "यह हमारे लिए बिल्कुल नहीं है। क्या आपको लगता है कि सरकार को इसकी जानकारी नहीं है? अदालत इस पर कैसे टिप्पणी कर सकती है?"
याचिका में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 की समय सीमा बढ़ाने की मांग भी की गई थी, ताकि हाल की हिंसा के कारण बांग्लादेश से भागे हिंदुओं को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का मौका मिल सके। इसके अलावा, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को वहां स्थित भारतीय उच्चायोग के माध्यम से सहायता प्रदान करने के निर्देश देने की अपील की गई थी।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हिंसा और भेदभाव तब से बढ़ गया है, जब पूर्व प्रधानमंत्री ने बड़े छात्र प्रदर्शन के बाद इस्तीफा देकर भारत में शरण ली थी। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने शांति बहाल करने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का वादा किया था, लेकिन हिंसा कथित तौर पर जारी है।
बांग्लादेशी अधिकारियों ने अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों को "अतिरंजित" करार दिया है। इस मुद्दे ने नई दिल्ली और ढाका के बीच तनाव भी बढ़ा दिया है, जिसमें भारत ने कई बार चिंता जताई और कार्रवाई की मांग की।