संकल्प स्मृति दिवस पर जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र ने अखंड भारत का संकल्प दोहराया

रायपुर: जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र की छत्तीसगढ़ इकाई ने संकल्प स्मृति दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस मौके पर प्रांत सहसचिव देशदीपक सिंह ने केंद्र की भूमिका और महत्व को रेखांकित करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रांत अध्यक्ष प्रो. एन.पी. दीक्षित ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि 22 फरवरी 1994 को भारतीय संसद ने सर्वसम्मति से पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर और लद्दाख को भारत में एकीकृत करने का संकल्प लिया था। उन्होंने बताया कि 5 अगस्त 2019 को गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर में पाक अधिकृत क्षेत्र और अक्साई चिन भी शामिल हैं।
प्रो. दीक्षित ने कनिष्क, ललितादित्य और महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में इस क्षेत्र की ऐतिहासिक महत्ता पर प्रकाश डाला, साथ ही माउंटबेटन और नेहरू के निर्णय से हुए विखंडन का उल्लेख किया। मुख्य वक्ता प्रो. अम्बरीष त्रिपाठी ने जम्मू कश्मीर व लद्दाख के भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामरिक महत्व को उजागर किया। उन्होंने शारदा पीठ का जिक्र करते हुए कहा कि यह पांच हजार साल पुराना स्थल आदिशंकराचार्य, अभिनवगुप्त और पाणिनी जैसे विद्वानों की कर्मभूमि रहा। गिलगित-बाल्टिस्तान को सिल्क रूट के माध्यम से सांस्कृतिक और आर्थिक संपन्नता का केंद्र बताया।
मुख्य अतिथि संजय पांडेय ने कहा कि इंदिरा कॉल से इंदिरा पॉइंट तक भारत की एकता हर भारतीय के मन में बसी है। कार्यक्रम के अंत में प्रो. दीक्षित ने संसद के संकल्प को दोहराते हुए अखंड भारत के लिए प्रतिबद्धता का पाठ कराया। श्री राम वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष निवास केडिया ने भी विचार व्यक्त किए। सभी वक्ताओं ने उपस्थित जनसमूह से अखंड भारत के निर्माण के लिए संकल्प लेने का आह्वान किया।