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Bihar Voter List SIR: बिहार की वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम हटे, SIR के आंकड़े जारी, 22 लाख की हो चुकी है मौत

Illustration of Bihar voter revision drive: enumeration forms being submitted and voter database being updated

वोटर लिस्ट रिवीजन के बाद 65 लाख नाम सूची से हटा दिए गए हैं।

Bihar Voter List SIR: पटना। चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक बिहार में अब 7.24 करोड़ वोटर हैं। पहले यह आंकड़ा 7.89 करोड़ था। वोटर लिस्ट रिवीजन के बाद 65 लाख नाम सूची से हटा दिए गए हैं।


हटाए गए नामों में वे लोग शामिल हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं या फिर कहीं और स्थायी रूप से रह रहे हैं या जिनका नाम दो वोटर लिस्ट में दर्ज था। इनमें से 22 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। 36 लाख मतदाता स्थानांतरित पाए गए, जबकि 7 लाख लोग अब किसी और क्षेत्र के स्थायी निवासी बन चुके हैं। चुनाव आयोग ने इस सफलता का श्रेय राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिलों के डीएम, 243 ERO, 2,976 AERO, 77,895 BLO, और 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के 1.60 लाख BLA को दिया है। इस दौरान BLA की संख्या में 16% की वृद्धि दर्ज की गई।


24 जून को शुरू किया गया था अभियान-

यह विशेष अभियान 24 जून 2025 को शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य फर्जी, दोहरे नामांकन और स्थानांतरित मतदाताओं को सूची से हटाना और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना था। इस व्यापक पुनरीक्षण के तहत 7.24 करोड़ नागरिकों के वैधता फॉर्म इकट्ठे किए गए। इसके लिए बूथ स्तर अधिकारी (BLO) और बूथ स्तर एजेंट (BLA) ने अहम भूमिका निभाई। इन्होंने घर-घर जाकर नागरिकों से आवश्यक जानकारी एकत्र की। 25 जुलाई 2025 तक पहले चरण को 99.8% कवरेज के साथ सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया।


योग्य नागरिकों का जुड़ेगा नाम-

अब अगले चरण में, 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 के बीच ऐसे सभी योग्य नागरिक जिनका नाम किसी कारणवश सूची में शामिल नहीं हो सका है, उन्हें ड्राफ्ट लिस्ट में नाम जुड़वाने का मौका मिलेगा। वहीं जिनके नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं, उनका नाम केवल एक स्थान पर रखा जाएगा। आयोग ने यह भी बताया कि बिहार में इस अभियान की सफलता को देखते हुए इसे अब पूरे भारत में लागू करने की योजना बनाई जा रही है।


सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला-

सुप्रीम कोर्ट ने 4 दिन पहले वोटर लिस्ट रिवीजन जारी रखने की अनुमति दी थी। अदालत ने इसे संवैधानिक जिम्मेदारी बताया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) यानी वोटर लिस्ट रिवीजन की टाइमिंग पर सवाल उठाए थे। वहीं, अदालत ने चुनाव आयोग से कहा था कि बिहार में SIR के दौरान आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड को भी पहचान पत्र माना जाए।

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