CG News : तस्करी का संदेह, भालू के शव को बिना पोस्टमार्टम दफनाने का सनसनीखेज खुलासा, वनकर्मियों पर गिरी गाज...

CG News : बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीते 24 फरवरी को हर्राठेमा वन परिक्षेत्र में तांदुला जलाशय के किनारे एक भालू का शव संदिग्ध हालत में मिला था। नियमों के मुताबिक, इसकी सूचना तुरंत डीएफओ कार्यालय को दी जानी चाहिए थी, लेकिन वनकर्मियों और अधिकारियों ने इसे छिपाते हुए शव को गोपनीय तरीके से दफना दिया। इस घटना का खुलासा होने के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है।
CG News : बता दें कि मामले के सामने आने के बाद डीएफओ के निर्देश पर बालोद वन विभाग की टीम और वेटनरी डॉक्टर घटनास्थल पर पहुंचे। तांदुला जलाशय के किनारे खुदाई कर भालू के शव को बाहर निकाला गया। शव को देखकर तस्करी की आशंका और गहरा गई है। डीएफओ ने इस लापरवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए फॉरेस्ट गार्ड और डिप्टी रेंजर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दोनों को 24 घंटे के अंदर जवाब देने का अल्टीमेटम दिया गया है, साथ ही देरी होने पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
CG News : तस्करी का एंगल या लापरवाही?
इस घटना ने वन विभाग के कर्मचारियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। जानवरों के अंगों की तस्करी में संलिप्तता की आशंका के चलते जांच तेज कर दी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना पोस्टमार्टम के शव को दफनाना न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इसे सबूत मिटाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा सकता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच के नतीजे ही यह साफ कर पाएंगे कि भालू की मौत प्राकृतिक थी या इसके पीछे कोई साजिश छिपी है।
CG News : शो कॉज नोटिस की कॉपी आई सामने-
डीएफओ द्वारा जारी शो कॉज नोटिस की कॉपी में साफ लिखा है कि वनकर्मियों ने उच्च अधिकारियों को सूचित किए बिना शव को दफनाकर गंभीर लापरवाही बरती। नोटिस में जवाब न देने पर निलंबन तक की कार्रवाई की बात कही गई है। इस मामले ने स्थानीय लोगों में भी आक्रोश पैदा कर दिया है, जो वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।