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तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक पद के लिए सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी की मंजूरी मिली

तुलसी गबार्ड

पूर्व अमेरिकी प्रतिनिधि तुलसी गबार्ड ने राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) पद के लिए सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी की वोटिंग पास कर ली है, जिससे वह सीनेट की पूर्ण मंजूरी के एक कदम और करीब पहुंच गई हैं।

The Hill की रिपोर्ट के अनुसार, यह वोट 9-8 के अंतर से पार्टी लाइनों पर हुआ।

सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष टॉम कॉटन (रिपब्लिकन-अर्कांसस) ने मतदान के बाद कहा, "इंटेलिजेंस कमेटी ने तुलसी गबार्ड की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में नामांकन को मंजूरी दे दी है। हमें उनके पुष्टि होने की उम्मीद है और हम उनके साथ मिलकर अमेरिका की सुरक्षा के लिए काम करने को तत्पर हैं।"

स्विंग वोट सीनेटर टॉड यंग ने किया समर्थन

वोटिंग से कुछ घंटे पहले ही सीनेटर टॉड यंग (रिपब्लिकन-इंडियाना), जो एक महत्वपूर्ण स्विंग वोट माने जा रहे थे, ने गबार्ड के समर्थन की घोषणा की। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, "तुलसी गबार्ड ने विभिन्न मुद्दों पर मुझसे विचार-विमर्श किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे खुफिया अधिकारी पूरी तरह से समर्थित रहें और नीति-निर्माताओं को निष्पक्ष जानकारी मिले।"

उन्होंने आगे कहा, "मैंने वही किया जो अमेरिका के संस्थापकों ने सीनेटरों से अपेक्षा की थी – राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए महत्वपूर्ण आश्वासन प्राप्त किए। इन प्रतिबद्धताओं को सुनिश्चित करने के बाद, मैं तुलसी के नामांकन का समर्थन करूंगा और उनके साथ मिलकर अमेरिका की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए तत्पर हूं।"

गबार्ड की पृष्ठभूमि और नामांकन

गबार्ड को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा DNI पद के लिए नामांकित किया गया था। वह अमेरिकी सेना रिजर्व की पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल, डेमोक्रेटिक कांग्रेसवुमन और 2020 की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रही हैं। पिछले साल, उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी का दामन थाम लिया था।

गबार्ड की संभावित पुष्टि का रास्ता और साफ हो गया जब सीनेटर सुसान कॉलिन्स (रिपब्लिकन-मेन) ने भी उनका समर्थन किया। कॉलिन्स और यंग को इस कमेटी में महत्वपूर्ण निर्णायक वोट के रूप में देखा जा रहा था। गबार्ड ने अतीत में कई बार कहा है कि वह हजारों खुफिया अधिकारियों को "डीप स्टेट" (गुप्त सत्ता तंत्र) का हिस्सा मानती हैं। अब उनकी नियुक्ति से अमेरिका की खुफिया व्यवस्था में बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है।

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