सैम पित्रोदा का विवादित बयान: "अवैध प्रवासियों को भारत में बसने देना चाहिए", बीजेपी ने किया पलटवार

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है। पित्रोदा ने भारत में अवैध प्रवासियों को बसने देने की वकालत करते हुए केंद्र सरकार की इस मुद्दे से निपटने में असफलता पर सवाल उठाए हैं।
पित्रोदा ने कहा, "अगर वे यहां आना चाहते हैं, भले ही अवैध रूप से, तो उन्हें आने दें। हमें सभी को शामिल करना चाहिए। अगर हमें थोड़ा सा नुकसान भी हो, तो कोई बात नहीं। हमें साझा करना चाहिए, लेकिन कोई साझा नहीं करना चाहता। सब अपना हिस्सा बड़ा और बड़ा बनाना चाहते हैं।"
बीजेपी ने किया पलटवार
सैम पित्रोदा के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने इसे "चौंकाने वाला और गैर-जिम्मेदाराना" करार दिया। भंडारी ने कहा, "राहुल गांधी के करीबी सहयोगी सैम पित्रोदा का बयान, जिसमें वे अवैध प्रवासियों को भारत में बसाने की वकालत करते हैं, देश के हितों के खिलाफ है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि पिछले 70 वर्षों से कांग्रेस ने कैसे अवैध प्रवासियों को बसाने का काम किया।"
पित्रोदा के बयान पर विवाद
यह पहली बार नहीं है जब सैम पित्रोदा ने विवाद खड़ा किया है। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान, उन्होंने भारत की विविधता पर टिप्पणी करते हुए कहा था, "उत्तर-पूर्व के लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे, उत्तर के लोग गोरे और दक्षिण के लोग अफ्रीकी जैसे दिखते हैं।"
अवैध प्रवासियों का मुद्दा और राजनीतिक विवाद
अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों का मुद्दा, खासकर दिल्ली विधानसभा चुनाव (5 फरवरी) के मद्देनजर, एक बार फिर से केंद्र में आ गया है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) अवैध प्रवासियों के लिए फर्जी आधार कार्ड बनवा रही है और उन्हें "वोट बैंक" के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
पित्रोदा ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अवैध प्रवासियों से निपटने की जगह सरकार को जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। लेकिन बीजेपी ने उनके इस बयान को "घुसपैठ को प्रोत्साहित करने वाला" करार दिया।
विपक्ष और कांग्रेस पर सवाल
बीजेपी ने सैम पित्रोदा के बयान को कांग्रेस पार्टी के रुख का हिस्सा बताते हुए सवाल उठाया कि क्या राहुल गांधी और कांग्रेस इस मुद्दे पर पित्रोदा के विचारों का समर्थन करते हैं। यह बयान राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस को जन्म दे चुका है, जहां विपक्ष और सत्ता पक्ष एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। यह बयान न केवल राजनीतिक विवादों को बढ़ा रहा है बल्कि देश में अवैध प्रवास और संसाधनों के बंटवारे जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी ध्यान खींच रहा है।