जम्मू-कश्मीर को फिर मिलेगा राज्य का दर्जा, शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव पेश करेगी केंद्र सरकार
नई दिल्ली: केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। जानकारी के अनुसार, इस नवंबर के अंत में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में इस प्रस्ताव को पेश किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार में शीर्ष स्तर पर इस पर सहमति बन चुकी है, और इस फैसले से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हो सकता है।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, जिसमें उन्होंने राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया था। इस मुलाकात के बाद सरकार ने इस दिशा में सक्रियता बढ़ा दी है।
राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रभाव
अगर यह प्रस्ताव पारित होता है, तो जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था का नियंत्रण चुनी हुई सरकार के हाथ में होगा। इससे पुलिस और कानून-व्यवस्था सीधे राज्य सरकार के अधीन हो जाएगी और राज्य सरकार भूमि, राजस्व, और पुलिस से जुड़े मामलों पर कानून बना सकेगी। इस फैसले से उप-राज्यपाल की भूमिका सीमित हो जाएगी और वित्तीय सहायता की निर्भरता भी अन्य राज्यों की तरह वित्त आयोग से मिलेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य का दर्जा मिलने से लोगों का सरकार पर भरोसा और मजबूत होगा, जो कि 2019 के बाद पहली बार राज्य को पुनः केंद्र शासित प्रदेश से राज्य का दर्जा मिलने जैसा होगा।
दरबार मूव पर रोक हटाई गई, फिर से होगी जम्मू-श्रीनगर की राजधानी
दरबार मूव, जिसमें सर्दियों में जम्मू और गर्मियों में श्रीनगर राजधानी होती थी, पर लगे प्रतिबंध को भी हटा लिया गया है। उप-राज्यपाल ने तीन साल पहले आर्थिक बोझ का हवाला देते हुए इस पर रोक लगा दी थी, जिससे केंद्र को भारी वित्तीय भार उठाना पड़ता था। राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद यह वित्तीय भार राज्य सरकार पर आ जाएगा।
उमर अब्दुल्ला की मांग के बाद बढ़ी पहल
उमर अब्दुल्ला की पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद केंद्र ने इस दिशा में तेजी दिखाई है। उमर को राज्य का दर्जा बहाल होने का आश्वासन मिल चुका है, जबकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। गौरतलब है कि 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A को निष्प्रभावी करने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित किया गया था।
लोगों में बढ़ा भरोसा
यह कदम जम्मू-कश्मीर में स्थायित्व और कानून-व्यवस्था पर नियंत्रण को मजबूत करेगा। राज्य का दर्जा बहाल होने से राज्य की जनता के बीच सरकार पर विश्वास और भी बढ़ेगा, और क्षेत्र में विकास और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।