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Tulsi vivah 2025 : तुलसी विवाह कैसे किया जाता है? जानें शुभ मुहूर्त, सामग्री और सरल विधि
 
                                                                                                                        
                                								
								
									 
								
                            - Rohit banchhor
- 31 Oct, 2025
इस अवसर पर लोग विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान को प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
Tulsi vivah 2025 : डेस्क न्यूज। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व माना जाता है, जो हर साल कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी को धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी 1 नवंबर 2025, शनिवार को पड़ रही है, जब भगवान विष्णु नींद से जागते हैं और माता तुलसी के साथ शालिग्राम रूप में उनका विवाह संपन्न कराया जाता है। मान्यता है कि इस पवित्र अनुष्ठान से कन्यादान जैसा पुण्य प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। घरों में सुंदर मंडप सजाकर यह विवाह संपन्न किया जाता है, जो न केवल धार्मिक बल्कि पारिवारिक एकता का प्रतीक भी बनता है। इस अवसर पर लोग विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान को प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
तुलसी विवाह के लिए आवश्यक सामग्री की सूची बेहद सरल है, जिसमें तुलसी का जीवंत पौधा, भगवान विष्णु या शालिग्राम की मूर्ति या फोटो, लाल वस्त्र और लाल चुनरी शामिल हैं। इसके अलावा पूजा की चौकी, कलश, आम के पत्ते, जल, गंगाजल, श्रृंगार सामग्री जैसे सिंदूर, बिंदी, मेहंदी और बिछुए, मौसमी फल जैसे मूली, आंवला, अमरूद, सिंघाड़ा व शकरकंद, केले के पत्ते, हल्दी की गांठ, धूप, चंदन, नारियल, कपूर, रोली और घी जैसी चीजें रखी जाती हैं। इन सामग्रियों से पूजा को पूर्णता मिलती है और विवाह विधि को पारंपरिक रूप दिया जाता है।
देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं: ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:50 से 05:41 बजे तक, अभिजित मुहूर्त 11:42 से 12:27 बजे तक, विजय मुहूर्त दोपहर 01:55 से 02:39 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 05:36 से 06:02 बजे तक, सायाह्न संध्या 05:36 से 06:54 बजे तक, अमृत काल 11:17 से 12:51 बजे तक और रवि योग सुबह 06:33 से शाम 06:20 बजे तक। इन मुहूर्तों में विवाह संपन्न करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
तुलसी विवाह की विधि घर पर आसानी से की जा सकती है। सबसे पहले चौकी पर आसन बिछाएं और तुलसी के गमले को गेरू से सजाकर रखें। दूसरी चौकी पर शालिग्राम भगवान की प्रतिमा स्थापित करें। दोनों चौकियों के ऊपर गन्ने से मंडप बनाएं। कलश में जल भरकर पांच आम के पत्ते लगाएं और पूजा स्थल पर रखें। गंगाजल छिड़काव करें, फिर शालिग्राम और तुलसी को रोली तिलक लगाएं। माता तुलसी को चुनरी व श्रृंगार सामग्री अर्पित करें तथा भगवान को वस्त्र चढ़ाएं। शालिग्राम को हाथ में लेकर तुलसी की सात परिक्रमा करें और अंत में आरती उतारें। इस सरल विधि से पूजा पूर्ण होती है और भक्तों को असीम पुण्य मिलता है। इस वर्ष तुलसी विवाह मनाकर अपने घर को धार्मिक ऊर्जा से भर लें।
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