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Karnataka High Court: RSS की शाखाओं पर रोक लगाने का किसने दे दिया अधिकार? कर्नाटक सरकार को HC से फटकार, अब क्या करेंगे सिद्धारमैया !
 
                                                                                                                        
                                								
								
									 
								
                            Karnataka High Court: बेंगलुरु। Karnataka High Court reprimanded government for banning RSS shakhas: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों पर रोक लगाने को लेकर कर्नाटक सरकार के आदेश पर अब हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार और हुबली पुलिस कमिश्नर के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा है कि उन्हें इसका संवैधानिक अधिकार कहां से मिल गया। बता दें कि, 18 अक्टूबर को राज्य सरकार ने कहा था कि बिन इजाजत के 10 से ज्यादा लोगों का इकट्ठा होना अपराध है। इसके अलावा पार्क, सड़कों और खेल के मैदान में ज्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर कार्रवाई की जाएगी।
Karnataka High Court: संवैधानिक अधिकारों पर रोक नहीं लगा सकती सरकारः HC
हाई कोर्ट ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 19 (1)(A),19 (1) (B) के तहत दिए गए अधिकारों पर सरकार रोक नहीं लगा सकती है। कोर्ट ने कहा कि सभी को अभिव्यक्ति का अधिकार और शांतिपूर्ण ढंग से सभा करने का अधिकार दिया गया है और सरकार में उसमें देखल नहीं दे सकती। इस मामले में अभी आगे की सुनवाई होनी है। फिलहाल कोर्ट के इस आदेश से आरएसएस को अंतरिम राहत मिल गई है।
Karnataka High Court: बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा था कि आरएसएस के खिलाफ ये सारे कदम प्रियंक खरगे के इशारे पर उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, आरएसएस अपनी गतिविधियां शांतिपूर्ण तरीके से करता है। वह जुलूसी भी शांति से निकालता है। वहीं कर्नाटक की कैबिनेट ने आरएसएस के कार्यक्रमों और शाखाओं पर रोक लगाने के लिए एक आदेश को मंजूरी दी थी। इसमें कहा गया था कि सरकारी जगहों पर बिना इजाजत इकट्ठा होना अपराध होगा और इसपर कार्रवाई की जाएगी।
Karnataka High Court: राजनीतिक बदले की भावना से कार्यवाही: बीजेपी
इससे पहले प्रियंक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य में आरएसएस की गतिविधियों पर रोक लगाने की जरूरत है। बीजेपी ने कहा था कि कांग्रेस यह सब केवल राजनीतिक बदले की भावना की वजह से करना चाहती है। इसके बाद कांग्रेस ने जवाब देते हुए कहा था कि 2013 में बीजेपी सरकार ने भी इसी तरह का आदेश दिया था और कहा था कि स्कूल का परिसर और खेल के मैदान का इस्तेमाल केवल शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए होगा।
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