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Spleen Laceration : क्रिकेटर श्रेयस अय्यर की स्प्लीन इंजरी से चर्चा में आया ‘तिल्ली’ का काम, जानिए क्या है स्प्लीन लैसरेशन और इसका इलाज
 
                                                                                                                        
                                								
								
									 
								
                            Spleen Laceration : हेल्थ डेस्क। भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यर हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे मैच के दौरान गंभीर चोट का शिकार हो गए थे। डॉक्टरों के अनुसार, उन्हें स्प्लीन लैसरेशन (Spleen Laceration) यानी तिल्ली में चोट लगी थी, जिसके कारण उन्हें इंटरनल ब्लीडिंग हुई और कुछ समय के लिए ICU में भर्ती भी रहना पड़ा। फिलहाल उनकी सेहत में सुधार है, लेकिन इस तरह की चोट को चिकित्सा विज्ञान में गंभीर माना जाता है।
Spleen Laceration : स्प्लीन क्या है और इसका काम क्या होता है?
स्प्लीन, जिसे हिंदी में तिल्ली कहा जाता है, शरीर के बाईं ओर पसलियों के नीचे और पेट के ऊपर स्थित एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण अंग है। इसका मुख्य काम पुरानी या क्षतिग्रस्त रेड ब्लड सेल्स (RBCs) को हटाना और नई व्हाइट ब्लड सेल्स (WBCs) तैयार करना होता है, जो शरीर को संक्रमण से बचाती हैं। यानी यह अंग शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
Spleen Laceration : क्या होती है स्प्लीन लैसरेशन की समस्या?
अमेरिका के क्लीवलैंड क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, स्प्लीन लैसरेशन तब होती है जब किसी व्यक्ति को पेट पर जोरदार चोट लगती है या वह अचानक भारी झटके से गिरता है। इस स्थिति में स्प्लीन में दरार या फटने जैसी स्थिति बन सकती है। ऐसे में बाईं ओर ऊपरी पेट में तेज दर्द, दबाव या सूजन महसूस होती है। अगर चोट गहरी हो, तो इंटरनल ब्लीडिंग शुरू हो जाती है, जो एक मेडिकल इमरजेंसी होती है। समय पर इलाज न मिलने पर यह स्थिति जानलेवा भी साबित हो सकती है।
Spleen Laceration : स्प्लीन इंजरी का इलाज कैसे होता है?
अगर स्प्लीन में हल्की चोट है, तो डॉक्टर मरीज को बेड रेस्ट और मॉनिटरिंग की सलाह देते हैं। लेकिन अगर ब्लीडिंग ज्यादा हो, तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। इस सर्जरी को स्प्लीनेक्टॉमी (Splenectomy) कहा जाता है, जिसमें स्प्लीन का कुछ हिस्सा या पूरा ऑर्गन हटा दिया जाता है। स्प्लीन हटने के बाद व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, इसलिए मरीज को संक्रमण से बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। डॉक्टर आमतौर पर सलाह देते हैं कि इस समस्या से उबरने के बाद व्यक्ति को कुछ हफ्तों तक किसी भी शारीरिक गतिविधि या खेल से दूर रहना चाहिए।
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