सर्दियों के मौसम में लोगो पर हावी हो रहा तनाव, अस्पतालों में बढ़ गई डिप्रेशन के मरीजों की संख्या

MP News : भोपाल। साल का आखिरी महीना चल रहा है और तेज सर्दी अपने पूरे सबाब पर है। ऐसे में लोगो के बीच तनाव भी फेल रहा हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि अस्पताल की ओपीडी में आ रहे डिप्रेशन के मरीजों के आंकड़े बता रहे हैं। मनोचिकित्सकों ने बताया कि अभी दो कैस सामने आए हैं। पहला केस शाहजहांनाबाद निवासी 22 साल का चित्रांश (परिवर्तित नाम) का है। वह अचानक दुखी रहने लगा। पढ़ाई-लिखाई छोड़कर वह खिड़की के पास धूप में बैठा रहता। उसके मन में उदासी इतनी बैठ गई कि उसने खाना पीना तक छोड़ दिया।
MP News : इसी तरह जहांगीराबाद निवासी 45 साल के रोहित (परिवर्तित नाम) को एक दिन अचानक अपने आसपास तारे नजर आने लगे। उन्होंने लोगों को इस बारे में बताया तो किसी ने विश्वास नहीं किया, जिससे वह दुखी हो गया। यही उदासी डिप्रेशन में बदल गई। दोनों मामलों में परिजनों ने जब डॉक्टर से संपर्क किया, तो पता चला कि दोनों के दुखी होने का कारण सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (सेड) है। डॉक्टरों के अनुसार, सर्दियों को डिप्रेशन बढ़ाने वाला मौसम भी कहा जाता है। तेज ठंड के कारण सरकारी अस्पतालों के मानसिक रोग विभाग की ओपीडी भी बढ़ गई है।
MP News : हमीदिया अस्पताल में इन दिनों रोजाना सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से पीड़ित तीन से चार मरीज पहुंच रहे हैं। जेपी अस्पताल में भी इसके मरीजों की संख्या प्रति दिन एक से दो हो गई है। डॉक्टरों का कहना है कि सर्दियों के दिन मूड डल करने वाले होते हैं। इससे मन दुखी होने के साथ डिप्रेशन, तनाव के मामले भी बढ़ जाते हैं। सामान्य लक्षण थकान, सिर में दर्द रहना, आलस, काम में मन न लगना, अकेलापन, बेचैन रहना और छोटी- छोटी बातों को लेकर तनाव में आ जाना आदि मौसमी तनाव यानी सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के सामान्य लक्षण हैं। डॉक्टरों के अनुसार, ये लक्षण नजर आने पर चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।