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GST Council की अहम बैठक आज से शुरू, दो स्लैब का हो सकता है ऐलान, सस्ते होंगे रोजमर्रा के ये सामान

नई दिल्ली। GST Council Meeting: जीएसटी परिषद की अहम बैठक आज बुधवार, 3 सितंबर से शुरू हो रही है, जो दो दिन तक चलेगी। नई दिल्ली में हो रही इस बैठक पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं।

 नई दिल्ली। GST Council Meeting: जीएसटी परिषद की अहम बैठक आज बुधवार, 3 सितंबर से शुरू हो रही है, जो दो दिन तक चलेगी। नई दिल्ली में हो रही इस बैठक पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। यह मीटिंग इसलिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इसमें जीएसटी के टैक्स स्ट्रक्चर में कई बड़े बदलाव की घोषणा हो सकती हैं। वित्त मंत्रालय द्वारा ग्रुप ऑफ मीनिस्टर की बैठक में रखें गए दो स्लैब जीएसटी के प्रस्ताव पर मुहर लग सकता है।


GST Council Meeting: बता दें अभी जीएसटी के चार स्लैब 5, 12,18 और 28 प्रतिशत हैं। अगर ऐसा होता है, तो ये 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद का सबसे बड़ा बदलाव होगा। इससे न सिर्फ कारोबार में पारदर्शिता आएगी, बल्कि आम लोगों को भी कई चीजों पर राहत मिल सकती है।


GST Council Meeting: अब GST के दो स्लैब लागू रहेंगे


वित्त मंत्रालय द्वारा रखे गए प्रस्ताव के अनुसार, अब देश में केवल दो टैक्स स्लैब 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत ही लागू रहेंगे। मौजूदा 12 और 18 प्रतिशत के स्लैब को खत्म किया जा सकता है। इस बदलाव से टैक्स सिस्टम को अधिक सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।


GST Council Meeting: जीएसटी काउंसिल के पदेन सचिव( Ex-officio Secretary, GST Counci) द्वारा पिछले महीने जारी किए गए सर्कुलर में 3-4 सितंबर की बैठक के बारे में जानकारी दी गई थी। वहीं, रेवेन्यू सेक्रेटरी के नोटिस के अनुसार, इस बैठक से पहले 2 सितंबर को राज्यों और केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श भी किया गया।


GST Council Meeting: लग्जरी उत्पादों के लिए 40% का टैक्स स्लेब


इससे पहले ग्रुप ऑफ मिनिस्टर की हुई बैठक में एक खास प्रस्ताव यह भी रखा गया था कि तंबाकी, सिगरेट, गुटखा और अन्य डीमेरिट (हानिकारक) उत्पादों के लिए अलग से 40 प्रतिशत का एक अतिरिक्त टैक्स स्लैब की व्यवस्था किया जाए।


GST Council Meeting: इसे सिन टैक्स के रूप में जाना जाता है, जिसका उद्देश्य न केवल रेवेन्यू ग्रोथ का है, बल्कि ऐसे उत्पादों की खपत को कंट्रोल करना भी है। लग्जरी कार, हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स और कुछ स्पेशल सर्विसेज भी इस कैटेगरी में शामिल हो सकती हैं। इससे आने वाले एक्स्ट्रा रेवेन्यू का इस्तेमाल सामाजिक कल्याण योजनाओं में किया जा सकता है।

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