Rupee hits an all-time low: डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 87 के पार, जानें आप पर क्या पड़ेगा असर

- Rohit banchhor
- 03 Feb, 2025
निर्यात को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
नई दिल्ली। Rupee hits an all-time low: आज 3 फरवरी सोमवार के दिन भारतीय रुपए में अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया, जब यह पहली बार 87 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर (Rupee hits an all-time low) के पार चला गया है। शुरुआती कारोबार में ही रुपया 87.07 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। इस तेज गिरावट के पीछे मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तीन कार्यकारी आदेशों को जिम्मेदार माना जा रहा है, जो उन्होंने सप्ताहांत में जारी किए थे।
Rupee hits an all-time low : हालांकि वित्त मंत्रालय और आरबीआई की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, सरकार रुपये की स्थिरता बनाए रखने के लिए कुछ नीतिगत फैसले ले सकती है। विदेशी निवेश को आकर्षित करने, निर्यात को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
Rupee hits an all-time low : सोमवार को शुरुआती कारोबार में ही रुपये में 0.5% की गिरावट दर्ज (Rupee hits an all-time low) की गई, और बाजार के जानकारों का मानना है कि यह गिरावट दिनभर जारी रह सकती है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा की कमजोरी का असर भारतीय शेयर बाजार और विदेशी निवेशकों की धारणा पर भी देखने को मिल सकता है।
Rupee hits an all-time low : इसके अलावा, चीनी युआन भी 0.5% गिरकर 7.35 प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया। भारतीय रुपये और चीनी युआन का आमतौर पर एक समान रुझान रहता है, इसलिए युआन में कमजोरी (Rupee hits an all-time low) से रुपये पर भी दबाव बना।
Rupee hits an all-time low :
रुपये में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर-
रुपये की गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई चुनौतियां खड़ी कर सकती है। आयात महंगा होने से व्यापार घाटा बढ़ सकता है और महंगाई पर असर पड़ सकता है। भारत अपनी 80% कच्चे तेल की जरूरत आयात से पूरा करता है। रुपये की कमजोरी के चलते तेल आयात महंगा होगा, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे आम जनता पर सीधा असर पड़ेगा और महंगाई में इजाफा हो सकता है।
Rupee hits an all-time low :
विदेशी निवेश पर असर-
रुपये में गिरावट से विदेशी निवेशक भारत में निवेश को लेकर सतर्क हो सकते हैं। एफआईआई (फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) और एफडीआई (फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट) का प्रवाह प्रभावित हो सकता है, जिससे शेयर बाजार में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। इसके अलावा जो कंपनियां कच्चा माल विदेशों से मंगाती हैं, उनके लिए उत्पादन लागत बढ़ जाएगी। इससे आईटी, ऑटोमोबाइल और फार्मा सेक्टर की कंपनियों पर असर पड़ सकता है।