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निगम मंडलों में नियुक्ति अटकी, उम्मीदवारों का टूट रहा धैर्य

इसके साथ ही कांग्रेस से आए कई नेताओं को भी निगम मंडल में नियुक्ति का इंतजार है।

लोकसभा चुनाव का परिणाम आए अब दो महीने से अधिक का समय बीत रहा है।

भोपाल। लोकसभा चुनाव का परिणाम आए अब दो महीने से अधिक का समय बीत रहा है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव मे टिकट से वंचित रहे नेताओं को उम्मीद थी कि चुनावों के बाद उनकी ताजपोशी निगम मंडलों, बोर्ड, प्राधिकरणों में हो सकती है। इसके लिए बैठक भी हो चुकी है पर अब तक नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू न होने से उनका धैर्य अब टूट रहा है। ये नेता अपने राजनीतिक आकाओं के पास जाकर अपनी पीड़ा बयां कर रहे हैं। नियुक्तियां कब होंगी पर संगठन नेताओं का हर बार की तरह इस बार भी एक ही जवाब है, समय आने पर निर्णय ले लिया जाएगा। प्रदेश के 46 निगम मंडलों में लंबे समय से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, और संचालकों के पद रिक्त हैं।

इन पर नियुक्तियों को लेकर लोकसभा के चुनाव परिणाम आने के बाद से ही सत्ता और संगठन नेताओं के बीच मंथन चल रहा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव आरएसएस के नेताओं से भी इस सिलसिले में बात कर चुके हैं। बताया जाता है कि भाजपा संगठन ने संघ से भी दस नेताओं के नाम मांगे थे। संघ से नाम आने के बाद ही सीएम ने संघ नेताओं से चर्चा की है। इसके अलावा पार्टी से लंबे समय से जुड़े जिन नेताओं को पद नहीं मिले हैं या फिर विधानसभा का टिकट नहीं मिल पाया है उनके नाम भी विचार में लिए गए हैं। पिछली सरकार में चुनाव से महज कुछ महीने पहले ही कई नेताओं को निगम, मंडल, प्राधिकरणों में पद दिए गए थे। इन नेताओं ने भी संगठन के समक्ष अपनी दावेदारी फिर से जताई है।

उनका कहना है कि उनका कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया था कि उन्हें हटा दिया गया। पार्टी इन दिनों सदस्यता अभियान में जुटी है। ऐसे में इन दावेदारों को लग रहा है कि कहीं संगठन चुनाव तक मामला टाल न दिया जाए। यही वजह है कि वे अपने राजनीतिक आकाओं के माध्यम से जल्द से जल्द नियुक्तियों की बात पार्टी बैठकों में उठवा रहे हैं। सदस्यता अभियान के बाद वरिष्ठ नेताओं की बैठक में मंगलवार को भी यह मामला उठा था।

कांग्रेस से आए नेताओं को भी आस
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए नेताओं को उस समय भाजपा ने चुनाव हारने के बाद भी निगम मंडलों में ताजपोशी करते हुए मंत्री और राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। हालांकि इनमें से कई नेता अब चुनाव हार गए हैं, इसके अलावा उनके साथ आए कई नेता अब तक किसी भी पद पर नहीं है। उनका तर्क है कि अब वे पार्टी में काफी पुराने हो गए है लिहाजा उनका भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

इसके साथ ही कांग्रेस से आए कई नेताओं को भी निगम मंडल में नियुक्ति का इंतजार है। वहीं भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं को केंद्र सरकार से अपेक्षा है। प्रदेश के कुछ वरिष्ठ नेताओं को राज्यपाल बनाने को लेकर भी प्रदेश भाजपा कार्यालय में चर्चा है। जो नेता राज्यपाल बनने की कतार में हैं उनमें पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सत्यनारायण जटिया, रघुनंदन शर्मा और कांग्रेस से भाजपा में आए सुरेश पचौरी का नाम शामिल है।

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