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एमपी बीजेपी में आज से मंडलों की चुनाव प्रक्रिया शुरू, समन्वय बनाने में हो रही दिक्कत
भोपाल। बीजेपी में रविवार से एक हजार से अधिक मंडलों के चुनाव शुरू हो गए हैं। लेकिन यह चुनाव पार्टी के लिए खासी चिंता का कारण बने हुए हैं। बेहद छोटे स्तर के इन चुनावों को समन्वय के साथ कराना संगठन के लिए बड़ी चुनौती है। इसका बड़ा कारण अधिकांश जिलों में विधायक और संगठन नेताओं के बीच पटरी न बैठना प्रमुख है। कई जिलों में जिलाध्यक्ष की विधायकों से नहीं पट रही है। इसकी शिकायतें प्रदेश संगठन को मिल रही है। यही वजह है कि क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल संभागों के दौरे कर समन्वय बनाने का काम कर रहे हैं।
भाजपा में संगठन चुनाव की प्रक्रिया एक महीने पहले प्रारंभ हो चुकी है। इसके पहले चरण में 64 हजार से अधिक बूथों में से अस्सी फीसदी से अधिक के चुनाव हो चुके हैं। पार्टी भले ही इन्हें समन्वय से कराने का दावा कर रही है पर इन चुनावों को लेकर कई जगह विधायक, जिलाध्यक्ष और जिला चुनाव प्रभारी में पटरी नहीं बैठ पाई है। मंडल चुनाव भले ही छोटे हों पर विधायक के लिए यही चुनाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।
विधानसभा चुनाव में मंडल अध्यक्षों की सक्रियता सबसे ज्यादा महत्व रखती है। यही वजह है कि विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र के अंतरगत आने वाले मंडलों में अपने समर्थक कार्यकर्ताओं को ही मंडल अध्यक्ष बनवाने के कार्यालय लिए पूरी ताकत लगा देते हैं। इनमें कई उनके रिश्तेदार भी शामिल होते हैं, पर इस बार संगठन ने इस पर नकेल कस दी है। विधायक सांसद के रिश्तेदारों को अध्यक्ष बनाने पर रोक लगा दी गई है। हालांकि संगठन यह जानता है कि विधानसभा चुनाव में यदि जीतना है तो विधायक की राय को भी पर्याप्त तरजीह देना पड़ेगी।
यही वजह है कि क्षेत्रीय संगठन महामंत्री संभागीय बैठकों में विधायकों को बुलाकर उनकी भी राय ले रहे हैं। गौरतलब है कि भोपाल संभाग के विधायकों और संगठन पदाधिकारियों की बैठक में भोजपुर विधायक सुरेन्द्र पटवा और जिलाध्यक्ष राकेश भारती के बीच संगठन पदाधिकारियों के सामने ही तनातनी हो गई थी। ऐसी स्थिति किसी और जिले में न बने इसके लिए संगठन अभी से ध्यान दे रहा है। तय यह किया गया है कि जिस मंडल के अध्यक्ष का निर्वाचन होगा, उसमें विधायक की राय भी महत्व रखेगी।
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