Bihar SIR: सुप्रीम कोर्ट बोला- बिहार SIR 'वोटर-फ्रेंडली, पर समय और दस्तावेजों पर पूछे ये सवाल'

Bihar SIR: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को बिहार में चुनाव आयोग (ECI) की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने याचिकाकर्ताओं के तर्क सुने। जस्टिस बागची ने कहा कि स्वीकार्य दस्तावेजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 11 करना वोटर-फ्रेंडली कदम है, न कि बहिष्करणकारी। जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि यदि 11 दस्तावेजों में से कोई एक देना हो तो यह वोटर विरोधी कैसे है?
Bihar SIR: याचिकाकर्ताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि आधार, पानी, बिजली बिल जैसे व्यापक कवरेज वाले दस्तावेज शामिल नहीं हैं, जबकि पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों का कवरेज केवल 1-2% है। उन्होंने बिहार में स्थायी निवास प्रमाणपत्र की अनुपस्थिति और ग्रामीण-बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दस्तावेजों की कमी का मुद्दा उठाया। सिंघवी ने ECI पर नागरिकता साबित करने का बोझ मतदाताओं पर डालने और दो महीने की अव्यावहारिक समयसीमा का आरोप लगाया। उन्होंने सुझाव दिया कि SIR दिसंबर से शुरू हो और एक साल में पूरी हो।
Bihar SIR: कोर्ट ने ECI के 13 करोड़ स्थायी निवास प्रमाणपत्र के दावे पर सवाल उठाया, क्योंकि यह बिहार की जनसंख्या से अधिक है। ECI ने इसे अन्य राज्यों से लिया गया उदाहरण बताया। कोर्ट ने बिहार के सिविल सेवा में योगदान को रेखांकित किया, लेकिन सिंघवी ने कहा कि यह केवल एक वर्ग तक सीमित है। सुनवाई गुरुवार को जारी रहेगी।