Kaal Bhairava Ashtami 2025: आज है काल भैरव अष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और विशेष भोग
Kaal Bhairava Ashtami 2025: धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान शिव के रौद्र अवतार काल भैरव को समर्पित है, जो समय, न्याय, मृत्यु और दुष्ट शक्तियों के नियंत्रक माने जाते हैं। इसे भैरव अष्टमी या कालाष्टमी भी कहा जाता है। मान्यता है कि काल भैरव की पूजा से भय, नकारात्मकता, ग्रह दोष, शत्रु बाधा, रोग और अकाल मृत्यु का खतरा दूर होता है। इस साल काल भैरव जयंती 12 नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी।
Kaal Bhairava Ashtami 2025: कौन हैं भगवान काल भैरव ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने अहंकारवश भगवान शिव का अपमान किया, तब उनके क्रोध से काल भैरव का प्रकट होना हुआ। उन्होंने ब्रह्मा के पाँचवें सर काट दिया और तभी से उन्हें “संहारक” और “न्याय के देवता” के रूप में पूजा जाने लगा। उनकी सवारी काला कुत्ता (श्वान) है, जो वफादारी और सतर्कता का प्रतीक माना जाता है।

Kaal Bhairava Ashtami 2025: पंचांग के अनुसार:
कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि 11 नवंबर रात 11:08 बजे शुरू होकर 12 नवंबर रात 10:58 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि के आधार पर 12 नवंबर को पूजा होगी। शुभ मुहूर्त: सुबह 6:41 से 9:23 बजे तक और 10:44 से दोपहर 12:05 बजे तक।
Kaal Bhairava Ashtami 2025: पूजा विधि:
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। काल भैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। सरसों का तेल का दीपक जलाएं। मंत्र जाप करें - "ॐ काल भैरवाय नमः" या "ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय ह्रीं" (108 बार)। काल भैरव अष्टक या स्तोत्र पाठ करें। विशेष भोग चढ़ाएं और आरती करें।
Kaal Bhairava Ashtami 2025: विशेष भोग:
-इमरती – सुख-समृद्धि के लिए।
-दही-बड़े – उग्र ऊर्जा शांत करने हेतु।
-उड़द दाल की खिचड़ी – मनोकामना पूर्ति के लिए।
-काले तिल की मिठाई – शनि दोष निवारण।
-मदिरा – आध्यात्मिक समर्पण और निर्भयता का प्रतीक (मंदिर परंपरा में)।
Kaal Bhairava Ashtami 2025 महत्व:
काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव की पूजा से जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और पाप मुक्ति मिलती है। राहु-केतु, शनि दोष से छुटकारा मिलता है। उनकी सवारी काला कुत्ता वफादारी का प्रतीक है। इस दिन उपवास, जागरण और भैरव मंदिर दर्शन का विशेष फल है। काल भैरव की कृपा से जीवन अंधकारमुक्त और सफलता से भर जाता है।

