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MP News: चौथी मंजिल से नीचे झांकते समय अनबैलेंस होकर गिरा किशोर, स्कूल बैग ने बचाई जान

"Bhopal student survives a fall from the fourth floor thanks to his school bag; minimal injuries reported."

करीब 40 फीट की ऊंचाई से गिरने के दौरान गति और दिशा का ऐसा संयोजन बैठा कि पहले जमीन पर स्कूल बैग गिरा, फिर उस पर बच्चा।

MP News: भोपाल। कहते हैं जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व होता है। शिक्षा छात्र के अंधेरे जीवन को ही उज्जवल बनती है। लेकिन भोपाल में उससे भी बड़ा उदाहरण देखने को मिला है। जिसमें शिक्षा देने वाली किताबों ने ही एक छात्रा का जीवन बचा लिया है। दरअसल एक छात्र चौथी मंजिल से नीचे की ओर झांक रहा था लेकिन इस समय वह अनबैलेंस हो गया और नीचे गिर गया लेकिन स्कूल बैग पीछे टंगा होने के चलते उसकी जान बच गई। अब लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं साथ ही कुछ लोग इसे विज्ञान का सिद्धांत बता रहे हैं।

MP News: करीब 40 फीट की ऊंचाई से गिरने के दौरान गति और दिशा का ऐसा संयोजन बैठा कि पहले जमीन पर स्कूल बैग गिरा, फिर उस पर बच्चा। इसलिए इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद भी उसकी जान बच गई। मिली जानकारी अनुसार पूरा मामला सरस्वती नगर के ईडब्ल्यूएस में क्रांति भारती अपने दो बच्चों के साथ रहती है। क्रांति वल्लभ भवन में ग्रेड तीन कर्मचारी हैं, जबकि उनके पति छिंदवाड़ा में काम करते हैं। क्रांति के दोनों बच्चे दिन में स्कूल से आने के बाद कुछ देर घर में अकेले होते हैं। उसी बीच जब छात्र सूयाँश स्कूल से आया तो वह कमरे में जाने की बजाए बालकानी की ओर चला गया। बालकनी की रैलिंग ऊंची होने के चलते सूयाँश कुर्सी लगाकर नीचे झांकने लगा। तभी संतुलन बिगड़ने से वह चौथी मंजिल से गिर गया। पड़ोसियों ने देखा तो उसे मामूली चोट ही लगी थी।

MP News: पड़ोसियों ने तुरंत क्रांति को फोन कर सूचना दी। क्रांति ने घर पहुंचकर सूर्याश को अस्पताल पहुंचाया। परीक्षण के बाद क्रांति बच्चे को लेकर घर आ गई, लेकिन रात तक जैसे-जैसे रिश्तेदारों को इसकी जानकारी लगी, वे उसे देखने पहुंचने लगे। बच्चे को देखकर कई लोग तो मानने को तैयार नहीं थे कि वह इतनी ऊंचाई से गिरा और चोट नहीं लगी। स्वजन रात को सूर्याश को लेकर फिर निजी अस्पताल पहुंचे और विशेषज्ञों को दिखाया। सिटी स्कैन और अन्य जांच कराई गई, लेकिन किसी तरह के अंदरूनी चोट का भी पता नहीं चला। सभी जांचों के बाद पाया गया कि बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ है। यह माता-पिता के लिए सुखद बात है, परंतु सभी के मन में अब भी कौतूहल बना हुआ है कि आखिर कैसे एक बैग ने बच्चे की जान बचा ली।

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