चुनावी रणभेरी में प्रत्याशी चयन को लेकर उलझी भाजपा, अंदरूनी कलाह भी आ रही सामने
भोपाल। बुदनी और विजयपुर विधानसभा उपचुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सूबे में चुनावी रणभेरी बज चुकी है। भाजपा ने युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। दोनों जगह भाजपा के लिए अलग-अलग स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा रहा है। बुदनी में प्रत्याशी चयन तो विजयपुर में पार्टी नेताओं की आंतरिक गुटबाजी को शांत करना कठिन काम रहेगा। अब तक की तैयारी की बात करें तो बुदनी, विजयपुर में जुलाई में प्रभारी और सह-प्रभारी की नियुक्ति। प्रदेश चुनाव समिति की बैठक संपन्न। प्रत्याशियों के नामों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया हैं।
श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा का 90 प्रतिशत भाग ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है। आदिवासी वोटर निर्णायक हैं। भाजपा के लिए चुनौती पार्टी की आंतरिक गुटबाजी है, क्योंकि भाजपा छह बार के कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत को चुनावी मैदान में उतार रही है। ऐसे में स्थानीय भाजपा नेताओं में नाराजगी है। नाराजगी दूर करने के लिए सत्ता और संगठन की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। भाजपा के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी को सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाकर साधा गया है।
भाजपा का गढ़ है बुधनी
सीहोर जिले की बुदनी सीट 2006 से लगातार भाजपा का अभेद्य गढ़ रही है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह यहीं से विधायक चुने जाते रहे हैं। शिवराज के सांसद चुने जाने के बाद सीट रिक्त हुई है। यहां सबसे ज्यादा चुनौती प्रत्याशी का चयन है, क्योंकि शिवराज के बेटे कार्तिकेय भी प्रमुख दावेदार हैं। जब शिवराज यहां से चुनाव लड़ते थे तो कार्तिकेय चुनावी कैंपेन संभालते थे। पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को भी इस सीट से उतारा जा सकता है। इसी के साथ पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत भी दावेदारों में है।
बुदनी में मतदाता- 2.44 लाख
पुरुष- 1.27 लाख, महिला- 1.16
विजयपुर में कुल मतदाता- 2.54 लाख
पुरुष- 1.33 लाख
महिला- 1.20 लाख

