Amla Navami 2025 : कब है आंवला नवमी, जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा की विशेष विधि
- Rohit banchhor
- 25 Oct, 2025
आइए जानें 2025 में आंवला नवमी की तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि।
Amla Navami 2025 : डेस्क न्यूज। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है, बल्कि इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल अक्षय यानी अनंत माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और पितरों के निमित्त दान-पुण्य से जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो आइए जानें 2025 में आंवला नवमी की तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि।
तारीख और शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार, आंवला नवमी 31 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन का शुभ मुहूर्त और तिथि विवरण इस प्रकार है-
नवमी तिथि प्रारंभ- 30 अक्टूबर 2025, सुबह 10.06 बजे
नवमी तिथि समाप्त- 31 अक्टूबर 2025, सुबह 10.03 बजे
शुभ मुहूर्त- सुबह 06.32 बजे से 10.03 बजे तक
इस समयावधि में पूजा और अन्य धार्मिक कार्य करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
आंवला नवमी की पूजा विधि-
आंवला नवमी का पर्व आंवले के वृक्ष की पूजा और पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का विशेष दिन है। प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, सरोवर या घर पर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। आंवले के वृक्ष के आसपास की जगह को साफ करें। हल्दी, चावल, कुमकुम या सिंदूर से वृक्ष की पूजा करें। सायंकाल में घी का दीपक जलाएं और वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें। खीर, पूरी और मिष्ठान का भोग लगाएं। पूजा के बाद प्रसाद को बांटें। आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाना और खाना विशेष पुण्यदायक माना जाता है।
अक्षय नवमी पर करें ये पुण्य कार्य-
इस दिन पितरों के निमित्त अन्न, वस्त्र और कंबल का दान करें। यह कार्य मोक्ष प्राप्ति में सहायक माना जाता है। आंवले के वृक्ष के पास पितरों का तर्पण करें, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले। इस दिन किए गए दान, जप, तप और अन्य शुभ कार्यों का फल अनंत गुना प्राप्त होता है।
क्यों खास है आंवला नवमी?
मान्यता है कि अक्षय नवमी का महत्व अक्षय तृतीया के समान है। इस दिन त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था, जिसके कारण इसे अक्षय पुण्य का दिन माना जाता है। आंवला नवमी का पर्व प्रकृति और पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। आंवले का वृक्ष आयुर्वेद और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है।

