मनमोहन सिंह देश के इकलौते प्रधानमंत्री जिनके नोट पर हैं हस्ताक्षर, जानिए इसके कारण

नई दिल्ली। Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे देश के एकमात्र प्रधानमंत्री हैं जिनके हस्ताक्षर भारतीय नोटों पर पाए जाते हैं। 2005 में, जब वे प्रधानमंत्री थे, भारत सरकार ने 10 रुपये का नया नोट जारी किया था, जिस पर मनमोहन सिंह के हस्ताक्षर थे। सामान्यत: भारतीय नोटों पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं, लेकिन यह विशेष बदलाव 10 रुपये के नोट में किया गया था।
Manmohan Singh: गवर्नर भी रह चुके हैं मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रह चुके हैं। उन्होंने 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक इस पद की जिम्मेदारी संभाली थी, और उस समय जारी होने वाले नोटों पर उनके हस्ताक्षर होते थे। भारतीय प्रणाली में आज भी यह प्रथा है कि करेंसी पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर नहीं होते, बल्कि आरबीआई गवर्नर के होते हैं।
Manmohan Singh: मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक था। वे 1991 में वित्त मंत्री बने और उस वर्ष भारत में बड़े आर्थिक सुधारों की शुरुआत की। उन सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी, जिसमें लाइसेंस राज का अंत, निजीकरण, और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने जैसे कदम शामिल थे। उनके द्वारा किए गए इन सुधारों ने भारत को वैश्वीकरण और उदारीकरण की दिशा में अग्रसर किया।
Manmohan Singh: आर्थिक संकट से भारत को बाहर निकाला
उनकी नेतृत्व क्षमता और आर्थिक निर्णयों ने भारत को संकट के समय से बाहर निकाला। 1991 में जब भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ रहा था और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी थी, तो मनमोहन सिंह ने साहसिक कदम उठाए। उन्होंने केंद्रीय बजट 1991-92 के माध्यम से देश में नए आर्थिक युग की शुरुआत की, जो भारतीय आर्थिक इतिहास का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
Manmohan Singh: मनरेगा और वैट लेकर आए
प्रधानमंत्री बनने के बाद भी, उनके कार्यकाल में कई बड़े सुधार हुए। 2005 में उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और मूल्य वर्धित कर (वैट) जैसी योजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने कृषि ऋण माफी और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू कीं, और 2008 की वैश्विक मंदी के दौरान भी भारत को संभालने में सफल रहे। उनके कार्यकाल में 'आधार' जैसी योजनाओं की शुरुआत भी हुई। मनमोहन सिंह को उनके साहसिक आर्थिक सुधारों और नेतृत्व के लिए हमेशा याद किया जाएगा।