ISRO: इसरो ने C20 क्रायोजेनिक इंजन का किया सफल परीक्षण, भविष्य के मिशनों में मिलेगी मदद
ISRO: नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को अपनी तकनीकी क्षमता का एक और महत्वपूर्ण प्रदर्शन किया। इसरो ने C20 क्रायोजेनिक इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस परीक्षण के दौरान, इंजन ने सामान्य वातावरण की परिस्थितियों में अपनी कार्यक्षमता को सिद्ध किया, और खासकर इसमें शामिल 'रिस्टार्ट एनबलिंग सिस्टम' ने अपनी प्रभावशीलता को साबित किया।
ISRO: C20 क्रायोजेनिक इंजन में नई तकनीकी क्षमता
C20 इंजन में एक नई तकनीक को शामिल किया गया है जिसे 'रिस्टार्ट एनबलिंग सिस्टम' कहा जाता है। यह तकनीक अंतरिक्ष के मिशनों में मददगार साबित हो सकती है, खासकर लंबी दूरी के मिशनों में, जहां इंजन को एक से अधिक बार पुनः चालू करना पड़ता है। इस प्रणाली का विकास इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर ने किया है और इसे भविष्य में कई जटिल अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ISRO: यह परीक्षण क्यों अहम है?
इसरो द्वारा किए गए परीक्षण के महत्व को समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि क्रायोजेनिक इंजन को फिर से चालू करना एक जटिल प्रक्रिया है। इस इंजन का परीक्षण करने में दो प्रमुख तकनीकी चुनौतियाँ सामने आईं। पहली चुनौती थी, नोजल को बंद किए बिना वैक्यूम इग्निशन का प्रदर्शन, और दूसरी चुनौती थी, मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना। इसरो ने पहले के ग्राउंड परीक्षणों में इंजन के वैक्यूम इग्निशन को सफलतापूर्वक दिखाया था, लेकिन इस नए परीक्षण में मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर के प्रदर्शन को भी परखा गया।
ISRO: भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि
इसरो का यह परीक्षण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल इसरो के क्रायोजेनिक इंजन के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि भविष्य में अंतरिक्ष में जाने वाले अभियानों की सफलता में भी योगदान करेगा। रिस्टार्ट सिस्टम की मदद से, अंतरिक्ष यानों को मिशन के दौरान कई बार इंजन को चालू करने का अवसर मिलेगा, जो लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण है।
ISRO achieves a major milestone! The C20 cryogenic engine successfully passes a critical test in ambient condition, featuring restart enabling systems—a vital step for future missions 🚀🌌
— ISRO (@isro) December 12, 2024
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