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"राघव चड्ढा की अपील: AI में निवेश बढ़ाएं, भारत बने निर्माता, न कि सिर्फ उपभोक्ता"

New Delhi

ये देश बहुत आगे हैं क्योंकि उन्होंने सालों पहले निवेश शुरू कर दिया था।

New Delhi : नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार, 25 मार्च को राज्यसभा में भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) क्रांति में अग्रणी बनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “ये समय AI का है,” और चेतावनी दी कि विश्व तेजी से AI में आगे बढ़ रहा है, जबकि भारत पिछड़ने का जोखिम उठा रहा है। जीरो आवर के दौरान चड्ढा ने अमेरिका और चीन के AI में निवेश को रेखांकित करते हुए कहा, “अमेरिका के पास ChatGPT, Gemini, Grok है। चीन के पास DeepSeek और Baidu है। ये देश बहुत आगे हैं क्योंकि उन्होंने सालों पहले निवेश शुरू कर दिया था।


New Delhi : असली सवाल यह है कि क्या भारत AI का उपभोक्ता बनेगा या निर्माता?” निवेश की तुलना करते हुए उन्होंने कहा, “अमेरिका ने AI में 500 अरब डॉलर से ज्यादा, चीन ने 137 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जबकि भारत का मिशन केवल एक अरब डॉलर का है।” उन्होंने यह भी बताया कि 2010 से 2022 तक अमेरिका ने विश्व के 60% AI पेटेंट, चीन ने 20%, और भारत ने सिर्फ 0.5% पेटेंट दायर किए। भारत की क्षमता और चुनौती पर जोर देते हुए AAP सांसद ने कहा, “भारत में सबसे अधिक प्रतिभा और मेहनती लोग हैं।


New Delhi : हम वैश्विक AI कार्यबल का 15% हिस्सा हैं और दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा AI कौशल क्षमता रखते हैं। लेकिन अगर हम अभी नहीं चेते, तो यह बढ़त खो देंगे। मेक इन इंडिया को अब भविष्य की ओर बढ़ाना होगा- ‘मेक AI इन इंडिया’।” चड्ढा ने चेताया कि AI सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता का सवाल है। “हमें विदेशी AI मॉडल पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। भारत को अपना खुद का AI बनाना होगा।”


New Delhi : भारत को AI महाशक्ति बनाने के लिए उन्होंने कई सुझाव भी दिए:
स्वदेशी AI चिप्स और हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग ढांचा विकसित करना। चिप निर्माण को प्रोत्साहन देना। देश भर में समर्पित AI कंप्यूटिंग सिस्टम स्थापित करना। डेटा सुरक्षा और राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए स्वायत्त AI मॉडल बनाना। भारतीय संस्थानों और AI स्टार्टअप्स को अनुसंधान अनुदान देना। उन्होंने सरकार से समयबद्ध राष्ट्रीय AI रणनीति, मजबूत फंडिंग और ढांचागत विकास की मांग की। चड्ढा ने कहा, “140 करोड़ भारतीय पूछ रहे हैं – क्या हम AI के उपभोक्ता रहेंगे या उत्पादक बनेंगे? नीति पत्रों का समय खत्म हुआ, अब कार्रवाई का वक्त है। भारत के पास प्रतिभा, जुनून और संभावना है। अब जरूरत है दूरदृष्टि और निवेश की। दुनिया इंतजार नहीं कर रही, हमें भी नहीं करना चाहिए।”

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