CG News: बस्तर दशहरा की मिली अनुमति, कांटो के झूले पर पीहू बनीं काछनदेवी, 700 साल पुरानी परंपरा आज भी जीवंत…

CG News: जगदलपुर। अपनी अनूठी और आकर्षक परंपराओं के लिए पूरी दुनिया में विख्यात बस्तर का महापर्व दशहरा रविवार रात से शुरू हो गया। इस महापर्व की शुरुआत हर साल उस विशेष रस्म से होती है, जिसे काछन गादी कहा जाता है। करीब 700 साल से चली आ रही यह परंपरा आज भी पूरे आस्था और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है।
CG News: काछन गादी रस्म में अनुसूचित जाति के एक विशेष परिवार की नाबालिग कुंवारी कन्या कांटों से बने झूले पर लेटकर बस्तर राजपरिवार को दशहरा शुरू करने की अनुमति देती है। मान्यता है कि इस कन्या के भीतर स्वयं देवी आकर महापर्व को निर्बाध सम्पन्न कराने का आशीर्वाद देती हैं। इस वर्ष पीहू ने काछनदेवी का रूप धारण कर पर्व आरंभ करने की अनुमति दी।
CG News: काछन गुड़ी परिसर में आयोजित इस परंपरा के साक्षी बनने के लिए बस्तर राजपरिवार, स्थानीय जनप्रतिनिधि और हजारों श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचे। इस दौरान पूरा वातावरण परंपरागत वाद्य-ध्वनियों और जयकारों से गूंज उठा। बस्तर दशहरा का यह आरंभिक विधान न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि बस्तर की जीवंत सांस्कृतिक धरोहर भी है, जिसे हर साल पीढ़ी दर पीढ़ी निभाया जाता है।
CG News: बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव ने बताया कि काछनदेवी से विधिवत दशहरा पर्व मनाने की अनुमति ली जाती है। राजपरिवार, मांझी चालकी, पुजारी और समस्त दशहरा समिति के सदस्य, शासन प्रशासन के लोगों द्वारा कांटों पर झूलती देवी से अनुमति ली जाती है। इसके बाद दशहरा पर्व के सभी रस्मों में राजपरिवार की मौजूदगी रहती है। आज देवी ने फूल स्वरूप अनुमति दी है। इस साल भी दशहरा पर्व खुशहाली के साथ मनाई जाएगी।