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CG News : पोषण ट्रैकर एप की खामियां, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता परेशान, डाटा अपलोड और एफआरएस में दिक्कत

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फील्ड सर्वे रिकॉर्डिंग (एफएसआर), डाटा अपलोडिंग और फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (एफआरएस) जैसी सुविधाओं में बार-बार आ रही समस्याओं ने कार्यकर्ताओं का काम जटिल कर दिया है।

CG News : रायपुर। छत्तीसगढ़ में पोषण ट्रैकर एप आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए सिरदर्द बन गया है। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 2021 में लॉन्च किया गया यह एप, जिसका उद्देश्य कुपोषण निगरानी और आंगनबाड़ी केंद्रों की गतिविधियों को वास्तविक समय में ट्रैक करना है, तकनीकी खामियों के कारण कार्यकर्ताओं के लिए चुनौती बना हुआ है। फील्ड सर्वे रिकॉर्डिंग (एफएसआर), डाटा अपलोडिंग और फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (एफआरएस) जैसी सुविधाओं में बार-बार आ रही समस्याओं ने कार्यकर्ताओं का काम जटिल कर दिया है।


आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि एप में डाटा फीड करने की प्रक्रिया धीमी है और सर्वर की खराबी के कारण डाटा अपलोड नहीं हो पाता। कार्यकर्ताओं ने बताया, एप में हिंदी भाषा का पूर्ण समर्थन नहीं है, जिससे हमें समझने में दिक्कत होती है। जटिल इंटरफेस और अंग्रेजी के जटिल शब्दों के कारण काम में देरी होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी इस समस्या को और बढ़ा रही है। कई कार्यकर्ताओं ने बताया कि ऑफलाइन मोड के बावजूद डाटा सिंक करने में समस्याएं आती हैं, जिससे बार-बार डाटा दोबारा दर्ज करना पड़ता है।


पोषण ट्रैकर एप में हाल ही में फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (एफआरएस) और ई-केवाईसी जैसी सुविधाएं जोड़ी गई हैं, ताकि लाभार्थियों का सत्यापन आसान हो। लेकिन तकनीकी खामियों के कारण ये सुविधाएं प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रही हैं। कई लाभार्थियों के पास आधार कार्ड या मोबाइल नंबर नहीं होने से डाटा दर्ज करने में दिक्कत हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई परिवारों के पास स्मार्टफोन या आधार नहीं है। ऐसे में ई-केवाईसी और फेशियल रिकॉग्निशन जैसे फीचर्स लागू करना अव्यवहारिक है।


आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि एप को हिंदी में सरल बनाया जाए, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी सुधारने के लिए कदम उठाए जाएं और तकनीकी सहायता प्रदान की जाए। साथ ही, लाभार्थियों के आधार और मोबाइल नंबर की अनिवार्यता को हटाने की मांग भी उठ रही है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में डाटा फीडिंग आसान हो सके।

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