Pitru Paksha 2025 : सर्वपितृ अमावस्या पर पूर्वजों का तर्पण, जानें शुभ मुहूर्त और सरल विधि जो लाएगी घर में समृद्धि

- Rohit banchhor
- 20 Sep, 2025
ह न केवल पितरों को तृप्त करता है, बल्कि वंशजों के जीवन में सुख-समृद्धि का द्वार खोल देता है।
Pitru Paksha 2025 : नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष की काली रात्रि यानी सर्वपितृ अमावस्या कल 21 सितंबर 2025 को रविवार को धरती पर उतरेगी, जो सभी पूर्वजों की आत्माओं को शांति देने का आखिरी सुनहरा अवसर लेकर आएगी। मान्यता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध, तर्पण और दान का पुण्यफल इतना प्रबल होता है कि यह न केवल पितरों को तृप्त करता है, बल्कि वंशजों के जीवन में सुख-समृद्धि का द्वार खोल देता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अमावस्या की काली चांदनी में पूर्वजों का आह्वान करने से पितृदोष का नाश होता है और परिवार में छिपी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। इस बार यह तिथि रविवार को पड़ने से विशेष महत्व प्राप्त कर रही है, क्योंकि सूर्यवार पर पूजा से सूर्य देव की कृपा भी मिलती है। सर्वपितृ अमावस्या का शाब्दिक अर्थ है सभी पितरों की अमावस्या, जहां सर्व का मतलब सभी पूर्वजों से है, चाहे वे सीधे रिश्तेदार हों या दूर के। पितृपक्ष के 16 दिनों के अंत में यह दिन आता है, जब भूले-बिसरे पितरों को भी याद किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों जैसे गरुड़ पुराण में वर्णित है कि इस अमावस्या पर तर्पण न करने से पूर्वज नाराज हो सकते हैं, लेकिन विधि-पूर्वक पूजा से वे वंश को आशीर्वाद देते हैं।
इस साल अमावस्या तिथि 21 सितंबर को रात 12.16 बजे शुरू होकर 22 सितंबर को सुबह 1.23 बजे तक चलेगी, यानी पूरे दिन का लाभ उठाने का समय है। शुभ मुहूर्तों में कुतुप समय दोपहर 12.07 से 12.56 बजे तक (49 मिनट), रौहिण मुहूर्त 12.56 से 1.44 बजे तक (49 मिनट) और अपराह्न काल 1.44 से 4.10 बजे तक (2 घंटे 26 मिनट) सबसे उत्तम माने जाते हैं। इनमें तर्पण करने से फल दोगुना हो जाता है, खासकर अपराह्न में जब सूर्य की किरणें पृथ्वी को आशीष बरसाती हैं।
पूजा की सरल विधि इस प्रकार है-
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और सफेद या हल्के पीले वस्त्र धारण करें, जो शुद्धता का प्रतीक हैं। घर के पूर्व या उत्तर दिशा में स्वच्छ स्थान बनाएं, जहां कुशा घास बिछाकर पितरों का आसन तैयार करें। फिर जल, काले तिल, अक्षत (चावल) और दूध मिश्रित पदार्थों से तर्पण दें, साथ ही खीर, फल या पूरी की पकौड़ी अर्पित करें।
मंत्र जाप के लिए ॐ पितृभ्यः स्वाहा का कम से कम 108 बार उच्चारण करें, जो पूर्वजों की आत्मा को सीधे पुकारता है। पूजा सामग्री में घी का दीपक, अगरबत्ती, पुष्प, गंगाजल और दान के लिए अनाज-फल शामिल करें। गरीबों या ब्राह्मणों को भोजन दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, और यह कार्य अमावस्या समाप्त होने से पहले पूरा कर लें।
विशेष उपायों में गाय को हरा चारा या रोटी खिलाना सबसे प्रभावी है, क्योंकि गाय को पितरों का स्वरूप माना जाता है- यह पितृदोष निवारण का सरल मार्ग है। इसके अलावा, शाम को पूर्व दिशा में घी का दीपक जलाएं, जो घर की नकारात्मकता को भगाकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। ज्योतिषी कहते हैं, इस अमावस्या पर उपाय करने से न केवल पूर्वज आशीर्वाद देते हैं, बल्कि व्यापार, नौकरी और वैवाहिक जीवन में बाधाएं दूर होती हैं।