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Navratri 2025 : पहाड़ वाली मुंगई माता के दर्शन करने से होती है मनोकामना पूरी, स्वप्न देवी के रूप में पूजते है लोग

Navratri 2025

घने जंगलों और ऊंचे पर्वतों से घिरा होने के कारण प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

Navratri 2025 : महासमुंद। शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व शुरू होते ही छत्तीसगढ़ के प्राचीन धार्मिक स्थलों में भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। इनमें महासमुंद जिले के बावनकेरा ग्राम में स्थित प्रसिद्ध मुंगई माता मंदिर भी शामिल है, जहां दुर्गा माता के स्वरूप मुंगई मां की पूजा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। जिला मुख्यालय से महज 35 किलोमीटर दूर, एनएच-53 राजमार्ग पर पटेवा से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर बसा यह मंदिर, घने जंगलों और ऊंचे पर्वतों से घिरा होने के कारण प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।


नवरात्रि के सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर यहां की चहल-पहल दोगुनी हो जाती है, जहां मनोकामना ज्योति जलाने की परंपरा के साथ जसगीतों की धुन से पूरा परिसर गूंज उठता है। मुंगई माता को दुर्गा का अवतार और स्वप्न देवी के रूप में पूजा जाता है, जिसके चलते वर्ष में दो बार नवरात्रि के दौरान यहां विशेष उत्साह रहता है। मंदिर की ऊंची पहाड़ी पर बनी छोटी गुफा में विराजमान मां की मोहनी सूरत देखते ही भक्तों का मन बस जाता है। मंदिर परिसर की रूपरेखा भी कम अद्भुत नहीं है, प्रवेश द्वार से शुरू होकर नीचे वाली माता के भव्य दर्शन, फिर भोले बाबा के अर्धनारीश्वर स्वरूप, आसपास के छोटे-छोटे मंदिर और ऊपर चढ़ाई पर गुफा में मां के दर्शन।


पर्वत की चोटी पर मुंगेश्वरी माता का मुख्य मंदिर है, जहां ज्योति कक्ष के पास एक रहस्यमयी गुफा है, जिसमें जंगली जानवरों के होने के संकेत मिलते हैं। मां के रक्षक के रूप में दो हनुमान जी की प्रतिमाएं और सामने शेर की मूर्ति भक्तों को सुरक्षा का अहसास दिलाती हैं। पर्वत पर चढ़कर आसपास की हरियाली भरी वादियां देखने का अनुभव अविस्मरणीय है, जो नवरात्रि के दौरान और भी रमणीय हो जाता है। इस नवरात्रि की खास बात है शाम ढलते ही होने वाला अनोखा दृश्य, घुंचापाली चंडी मंदिर की तर्ज पर यहां भालू मां के दरबार में प्रसाद लेने आते हैं।


भक्तजन इन भालुओं को अपने हाथों से नारियल और प्रसाद खिलाते हैं, जो मां की कृपा का जीवंत प्रमाण बन जाता है। यह परंपरा न केवल पर्यटकों को आकर्षित करती है, बल्कि सभी धर्मों के लोगों को एकजुट करने वाली भाईचारे की मिसाल पेश करती है। मंदिर समिति के अनुसार, इस वर्ष नवरात्रि में 50 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन को पहुंच चुके हैं, और विशेष सुरक्षा व पार्किंग व्यवस्था की गई है।


ग्राम बावनकेरा में उर्रा का त्योहार भी धूमधाम से मनाया जाता है, जहां मेले का आयोजन होता है। यहां की एकता और भक्ति की भावना नवरात्रि के अवसर पर पूरे छत्तीसगढ़ के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। यदि आप प्रकृति, आस्था और साहसिक यात्रा का मिश्रण तलाश रहे हैं, तो मंुगई माता मंदिर अवश्य आएं।

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