UP News : तहखाने में मिले 250 जिंदा कछुआ और हड्डियों के ढेर, दंपति समेत दो तस्कर गिरफ्तार

- Rohit banchhor
- 21 Sep, 2025
पति-पत्नी समेत दो तस्करों को चार बैगों में ठूंसकर ले जाए जा रहे कछुओं के साथ पकड़ा गया।
UP News : जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में वन्यजीव तस्करी का एक भयावह चेहरा सामने आया है, जहां एक साधारण दिखने वाले घर के नीचे बने गुप्त तहखाने से 250 जिंदा कछुए और कछुओं की हड्डियों से भरी 15 बोरे जब्त किए है। यह खुलासा तब हुआ जब खेतासराय रेलवे स्टेशन पर रूटीन छापेमारी के दौरान पति-पत्नी समेत दो तस्करों को चार बैगों में ठूंसकर ले जाए जा रहे कछुओं के साथ पकड़ा गया।
बता दें खेतासराय रेलवे पुलिस ने शनिवार शाम मुखबिर की सूचना पर सतर्कता बरतते हुए स्टेशन प्लेटफॉर्म पर निगरानी बढ़ाई। ट्रेन से उतरते ही संदिग्ध पति-पत्नी जोड़े को पकड़ा गया। पकड़े गए मोती लाल 45 वर्ष और उनकी पत्नी ममता 38 वर्ष के बैगों की तलाशी ली गई, तो अंदर 50 से अधिक जिंदा कछुए रेंगते नजर आए। पूछताछ में दोनों ने कबूल किया कि वे सिर्फ ट्रांसपोर्ट का काम करते हैं। कछुओं को जौनपुर से वाराणसी होते हुए पश्चिम बंगाल और वहां से विदेशों तक पहुंचाने के बदले 6 हजार रुपये प्रति ट्रिप मिलते हैं।
लेकिन असली सरप्राइज तब हुआ जब उन्होंने मास्टरमाइंड मुस्ताक 52 वर्ष का नाम लिया, जो कासिमपुर वार्ड में एक सामान्य दुकानदार के रूप में जाना जाता था। मोती लाल और ममता की निशानदेही पर पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम शनिवार रात मुस्ताक के घर पहुंची। बाहर से सामान्य दिखने वाले इस घर में अंदर का नजारा रोंगटे खड़े कर देने वाला था। फर्श के नीचे एक गुप्त तहखाना था, जिसका प्रवेश द्वार अलमारी के पीछे छिपा था।
अंधेरे, नम और बदबूदार इस तहखाने में 250 जिंदा कछुए ज्यादातर इंडियन फ्लैपशेल और स्टार टॉर्टॉइस प्रजाति के ठूंसकर रखे गए थे। ये कछुए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में सूचीबद्ध हैं, जिनकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 5-10 हजार रुपये प्रति जोड़ी तक है। तहखाने की दीवारें कछुओं की खाल और खोपड़ियों से सनी हुईं, और सबसे डरावना 10 बोरे और 5 बैग कछुओं की सफेद चमकती हड्डियां, जो बताती हैं कि यहां सैकड़ों कछुओं का क्रूर अंत हो चुका था।
वन विभाग के डिप्टी रेंजर जयहिंद यादव ने बताया, ये कछुए न केवल खाने के लिए, बल्कि विदेशी बाजारों में पेट्स, दवाओं और जादू-टोने के सामान के रूप में तस्करी किए जाते हैं। तहखाने में ऑक्सीजन की कमी से कई कछुए मरने को थे। हमने तुरंत रेस्क्यू शुरू किया। टीम में वन दरोगा गोरख प्रसाद और वन रक्षक दुर्गेश ने घंटों की मशक्कत से सभी जिंदा कछुओं को सुरक्षित निकाला। पुलिस ने बताया कि अभियुक्तों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम सहित अन्य प्रासंगिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।