BSF: बीएसएफ में सैनिक सीखेंगे ड्रोन युद्ध से निपटने का तरीका, स्वदेशी तकनीक को मिलेगा बढ़ावा

BSF: नई दिल्ली: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) युद्ध क्षेत्र की नई चुनौतियों से निपटने के लिए अपने जवानों को उन्नत प्रशिक्षण दे रहा है। बीएसएफ ने अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में ड्रोन युद्ध को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया है। इसके तहत जवानों और अधिकारियों को ड्रोन प्रौद्योगिकी और ड्रोन रोधी रणनीतियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही, स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने के लिए बीएसएफ ने ग्वालियर के टेकनपुर में एक नवाचार केंद्र और रुस्तमजी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आरजेआईटी) के साथ ड्रोन प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला स्थापित की है।
BSF: बीएसएफ अकादमी के निदेशक शमशेर सिंह ने बताया कि ड्रोन प्रौद्योगिकी को प्रशिक्षण का हिस्सा बनाया गया है, और इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जा रही है। ड्रोन स्कूल का उद्घाटन भी किया गया है, जो बल को युद्ध के आधुनिक तरीकों से निपटने के लिए आत्मनिर्भर बनाएगा। बीएसएफ ने विभिन्न आईआईटी और सरकारी अनुसंधान संगठनों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि ड्रोन तकनीक के सामरिक उपयोग का रोडमैप तैयार किया जा सके।
BSF: नवाचार केंद्र 48 चिन्हित समस्याओं, जैसे ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग और निगरानी, पर काम करेगा। ड्रोन स्कूल ने पहले बैच में 45 कर्मियों को प्रशिक्षित किया है, जो अब सीमा पर तैनात हैं। दूसरा बैच प्रशिक्षण ले रहा है। लक्ष्य प्रतिवर्ष 500 कर्मियों को प्रशिक्षित करना है। ड्रोन कमांडो पाठ्यक्रम जवानों के लिए और ड्रोन योद्धा पाठ्यक्रम अधिकारियों के लिए है। इसके लिए 20 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है।