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सुखबीर बादल ने सजा के तहत गले में तख्ती डालकर स्वर्ण मंदिर में सेवा की शुरू, बर्तन और जूते भी साफ करेंगे
अमृतसर: शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आज श्री अकाल तख्त साहिब में धार्मिक सजा के तहत श्री हरमंदिर साहिब में सेवा कार्य शुरू किया। अकाली दल के अन्य नेताओं के साथ उन्होंने सिख धर्म के नियमों और परंपराओं का पालन करते हुए, अपनी सजा को श्रद्धा और सम्मान के साथ स्वीकार किया।
धार्मिक सजा के तहत कार्य
सुखबीर बादल को सोमवार को श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा धार्मिक सजा सुनाई गई थी, जिसके अनुसार उन्हें स्वर्ण मंदिर में सेवादार के रूप में काम करने का निर्देश दिया गया। इस सजा के तहत उन्हें बर्तन धोने, जूते साफ करने और अन्य सेवा कार्यों में भाग लेने के लिए कहा गया। साथ ही, उन्हें गले में तख्ती और हाथ में बरछा पहनकर सेवा में जुटने का आदेश भी दिया गया था।
तख्तियां और बरछा पहनने की परंपरा
सजा के तहत, सुखबीर बादल और अन्य नेताओं के गले में तख्तियां डाली गईं, जिन पर गुरबाणी की पंक्तियां लिखी थीं। इन पंक्तियों में परमात्मा से माफी और आशीर्वाद की प्रार्थना की गई थी: "निरवैर पुरख सतगुरु प्रभ दाते, हम अपराधी तुम बख्शाते, जिस पापी को मिले ना ढोई, शरण आवे ता निर्मल होई"। इसमें परमात्मा से कहा गया है कि हम अपराधी हैं और तुम बख्शने वाले हो। यदि कोई पापी तुम्हारी शरण में आता है, तो वह पवित्र हो जाता है।
सुखबीर बादल की सेवा और अन्य नेताओं की सजा
सुखबीर बादल के पांव में फ्रैक्चर होने के कारण उन्हें व्हीलचेयर पर बैठने का आदेश दिया गया था। इस दौरान, उन्होंने सेवादारों की पोशाक पहनी और श्री दरबार साहिब के बाहर घंटाघर के पास सेवादार का चोला पहनकर अपनी सेवा शुरू की। उनका सेवा समय 9 बजे से 10 बजे तक निर्धारित किया गया था। इसके बाद, उन्होंने बर्तन साफ करने, कीर्तन सुनने, और सुखमणि साहिब का पाठ करने के कार्य किए।
अन्य नेताओं की सजा
पूर्व सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा और बिक्रम सिंह मजीठिया जैसे अन्य नेताओं को भी सजा दी गई। सुखदेव सिंह ढींडसा को भी स्वर्ण मंदिर में सेवा कार्य करने का आदेश दिया गया था, जबकि मजीठिया ने धार्मिक सजा के तहत स्वर्ण मंदिर में बर्तन धोने का कार्य किया। इसके अलावा, 3 से 12 दिसंबर तक अन्य नेताओं को श्री दरबार साहिब में शौचालयों की सफाई, लंगर सेवा, और नितनेम व सुखमणि साहिब का पाठ करने का निर्देश दिया गया।
पंथिक गल्तियों के लिए सजा
यह धार्मिक सजा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और सिख युवाओं की हत्या करवाने वाले पुलिस अधिकारियों को उच्च पदों पर नियुक्त करने जैसी पंथिक गल्तियों के लिए दी गई थी।
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