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Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute : राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर बड़ा खुलासा, फैसले में देरी कराने की कोशिश का सच सामने आया

Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute

Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute : अयोध्या। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर अब बड़ा खुलासा हुआ है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित पुस्तक विमोचन ‘केस फॉर राम- द अनटोल्ड स्टोरी’ के दौरान बताया कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के ऐतिहासिक फैसले को रोकने या उसमें देरी करने की कोशिश वकीलों द्वारा की गई थी। यह खुलासा मंदिर भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के छह साल बाद सामने आया है।


Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि फैसले में देरी कराने के प्रयास कभी परोक्ष रूप से और कभी स्पष्ट रूप से किए गए। उन्होंने बताया कि इस दौरान दो मशहूर वकीलों ने अदालत का बहिष्कार भी किया। उन्होंने इसे संसद में बहिष्कार जैसी घटनाओं के समान बताया, लेकिन यह घटना सीधे राम जन्मभूमि विवाद केस में हुई।


Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute : साल 2019 में आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने अयोध्या में विवादित ढांचे की जमीन पर मंदिर निर्माण की अनुमति दी थी। अदालत ने मंदिर निर्माण के लिए 2.77 एकड़ जमीन आवंटित की थी और मस्जिद निर्माण के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था।


Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute : तुषार मेहता ने कहा कि फैसले को टालने की कोशिशों के बावजूद न्यायपालिका ने निष्पक्ष और समय पर निर्णय दिया। इसके बाद राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से शुरू हुआ और 22 जनवरी 2024 को इसका उद्घाटन बड़े पैमाने पर किया गया।

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