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CBSE का नया नियम, प्राचार्यों-शिक्षकों के लिए 50 घंटे की ट्रेनिंग अनिवार्य, बताए जाएंगे नैतिक मूल्य

CBSE new rule: रायपुर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने स्कूलों के प्राचार्यों और शिक्षकों के लिए नया नियम लागू किया है। अब सभी शिक्षकों को अपने पेशेवर कौशल को बेहतर बनाने के लिए हर साल कम से कम 50 घंटे की ट्रेनिंग लेनी होगी।

CBSE new rule: रायपुर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने स्कूलों के प्राचार्यों और शिक्षकों के लिए नया नियम लागू किया है। अब सभी शिक्षकों को अपने पेशेवर कौशल को बेहतर बनाने के लिए हर साल कम से कम 50 घंटे की ट्रेनिंग लेनी होगी।

 CBSE new rule: रायपुर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने स्कूलों के प्राचार्यों और शिक्षकों के लिए नया नियम लागू किया है। अब सभी शिक्षकों को अपने पेशेवर कौशल को बेहतर बनाने के लिए हर साल कम से कम 50 घंटे की ट्रेनिंग लेनी होगी। यह ट्रेनिंग राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय पेशेवर मानकों के अनुसार होगी।


CBSE new rule: नए नियमों के तहत, 50 घंटे की ट्रेनिंग में से आधी सीबीएसई या सरकारी संस्थानों के जरिए होगी, बाकी स्कूल या आसपास के सहयोग से आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से पूरी की जाएगी।


CBSE new rule: ट्रेनिंग तीन मुख्य क्षेत्रों पर केंद्रित होगी:-


1.नैतिकता और मूल्यों के लिए 12 घंटे

2.ज्ञान और अभ्यास के लिए 24 घंटे

3.पेशेवर विकास के लिए 14 घंटे


इसमें बोर्ड परीक्षा ड्यूटी, शोध कार्य, सीबीएसई सम्मेलन और डिजिटल सामग्री जैसे शैक्षणिक और मूल्यांकन कार्य भी शामिल होंगे।


CBSE new rule: साइंस, टेक्नोलॉजी और गणित मुख्य विषय


शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए सीबीएसई ने साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स को अपनी सालाना ट्रेनिंग का मुख्य विषय चुना है। स्कूलों को इन विषयों में चर्चा और नए विचारों को बढ़ावा देने के लिए डिस्ट्रक्ट लेवल डेलिबरेशंस आयोजित करने के लिए कहा गया है, जिसमें सवाल पूछने और अलग-अलग विषयों को मिलाकर पढ़ाने के तरीकों पर जोर दिया जाएगा। सभी स्कूलों को इन नए नियमों का पालन करना होगा।


CBSE new rule: पहले नहीं थी अनिवार्यता


सीबीएसई द्वारा समय-समय पर कई तरह के वेबिनार और ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित कराए जाते रहे हैं। इसमें छात्रों के लिए कॅरियर काउंसिलिंग से लेकर अन्य तरह की चीजें शामिल रहती हैं। सीबीएसई इनमें से अधिकतर कार्यक्रमों को निशुल्क और हाईब्रिड मोड में रखता है ताकि अधिक से अधिक लोग इसका हिस्सा बन सकें। पूर्व में बोर्ड द्वारा इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का हिस्सा बनना प्राचार्य अथवा शिक्षकों के लिए अनिवार्य नहीं किया गया था, लेकिन नए सत्र में सभी इसका हिस्सा बनेंगे।

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