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उत्तराखंड में लागू हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड: शादी, तलाक से लेकर वसीयत तक एक समान कानून लागू

यूनिफॉर्म सिविल कोड

उत्तराखंड ने आज से देश में इतिहास रचते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू कर दिया है। यह कानून शादी, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप, संपत्ति के बंटवारे और गुजारा भत्ता जैसे मामलों में सभी धर्मों और समुदायों के लिए समान नियम स्थापित करेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज राज्य सचिवालय में UCC पोर्टल का अनावरण कर इसे लागू करने की औपचारिक घोषणा की।

उत्तराखंड: UCC लागू करने वाला पहला राज्य

उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहां आजादी के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया गया है। मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि, "UCC धर्म, लिंग, जाति या समुदाय के आधार पर भेदभाव से मुक्त एक समान और सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।" उन्होंने यह भी कहा कि इस ऐतिहासिक कानून से समाज में समानता आएगी और सभी नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य एक समान होंगे।

UCC के तहत क्या बदलेगा?

शादी और तलाक के नियम: सभी धर्मों और समुदायों के लिए विवाह और तलाक के लिए एक समान कानून लागू होगा। शादियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, जिसे शादी के छह महीने के भीतर कराना होगा। पंजीकरण न कराने पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। बिना रजिस्ट्रेशन के सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।

लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण: लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। 18 से 21 साल के कपल्स को रजिस्ट्रेशन के लिए माता-पिता की सहमति पत्र जमा करना होगा। संपत्ति के अधिकार: बेटा और बेटी दोनों को संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलेगा। जायज और नाजायज बच्चों के बीच कोई भेदभाव नहीं होगा।

महिलाओं के अधिकार: महिलाओं को तलाक के लिए पुरुषों के समान अधिकार दिए जाएंगे। लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होगी, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति की हों।

बुहविवाह पर रोक: राज्य में बहुविवाह पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।

हलाला जैसी प्रथाओं पर रोक: UCC लागू होने से राज्य में हलाला जैसी प्रथाओं को समाप्त किया जाएगा। धार्मिक परंपराओं में छूट: पूजा, परंपराएं और धार्मिक रीति-रिवाज UCC के तहत प्रभावित नहीं होंगे। शेड्यूल ट्राइब और ट्रांसजेंडर समुदाय को UCC से बाहर रखा गया है।

लंबी कवायद के बाद लागू हुआ UCC

UCC को लागू करने से पहले राज्य सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति बनाकर सभी समुदायों के साथ विचार-विमर्श किया। जनता की राय और विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर इसका मसौदा तैयार किया गया। हाल ही में राज्य कैबिनेट ने UCC के मसौदे पर सहमति जताई थी, जिसके बाद इसे लागू किया गया।

मुख्यमंत्री धामी का बयान

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम 2022 के चुनाव में जनता से किए गए वादे को पूरा कर रहे हैं। यह कदम प्रधानमंत्री के 'समान भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जहां किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर भेदभाव नहीं होगा।"

UCC लागू होने का महत्व

UCC लागू होने से उत्तराखंड में शादी, तलाक, और संपत्ति जैसे मामलों में एक समान कानून होंगे, जिससे समाज में समानता और एकरूपता आएगी। यह कानून महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को भी मजबूती प्रदान करेगा और सभी नागरिकों को समान अवसर सुनिश्चित करेगा।

उत्तराखंड सरकार का यह कदम भारत में समान नागरिक संहिता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है। इसे लागू करने से राज्य में एकरूपता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

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