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प्रदेश में बारिश का कहर: सीएम ने की समीक्षा, बोले- स्थिति सामान्य होने तक कोई ना ले अवकाश

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में अति वर्षा और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए अधिकारियों और कर्मचारियों को अवकाश पर नहीं जाने के निदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बारिश और बाढ़ की स्थितियां सामान्य होने तक अधिकारी-कर्मचारी कार्यस्थल पर मुस्तैद रहें और अवकाश पर नहीं जाएं। इस विपरीत परिस्थिति में जनता की सेवा सबसे ज्यादा जरूरी है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज सुबह अपने निवास पर बारिश से उत्पन्न स्थिति और बाढ़ राहत कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव वीरा राणा, पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना, अपर मुख्य सचिव गृह एसएन मिश्रा, डीजी होमगार्ड व एसडीईआरएफ अरविंद कुमार, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा सहित तमाम अधिकारी मौजूद थे। उनके अलावा सभी संभागों के कमिश्नरआईजी, डीआईजी, कलेक्टर और एसपी वीडियो काफ्रेंसिंग के जरिए जुड़े हुए थे। यह बैठक सुबह ठीक साढ़े दस बजे शुरू हुई थी, जो दोपहर तक चली है। सीएम ने कहा कि इस विपरीत परिस्थिति में जनता की सेवा आवश्यक है और अधिकारियों कर्मचारियों को इसे प्राथमिकता पर रखना होगा। बहुत आवश्यक हो, उसी स्थिति में अवकाश पर जाएं, नहीं तो अपने कर्तव्य का निर्वहन करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षा का चक बदलने के कारण सितंबर माह में जितनी वर्षा होनी चाहिए, उससे अधिक हो रही है। अति वर्षा के बावजूद जनजीवन सामान्य बना रहे, इसके लिए समय रहते आवश्यक सावधानियां बरतते हुए बचाव के कार्य किए जाएं। निचली बस्तियों में रहने वालों को समय रहते सतर्क किया जाए और आवश्यकता अनुसार उन्हें राहत कैंपों में शिफ्ट कियाजाए। जिन रपटों और पुलों पर पानी है, वहां तत्काल आवश्यक सावधानी और सतर्कता बढ़ाई जाए। सीएम ने कहा कि अति वर्षा के प्रभाव से हुई जनहानि और पशु हानि की स्थिति में राहत उपलब्ध कराई जाएगी। सभी कलेक्टर्स जनहानि की स्थिति में चार-चार लाख रुपए की सहायता उपलब्ध कराने की घोषणा करें और तत्काल राशि पीड़ित परिजनों को दी जाएं।


बाढ़ में फंसे हुए लोगों को एयर लिफ्ट करें
मुख्यमंत्री ने कहां कि जहां पर भी बाढ के पानी में लोग फसे हुए है, उन्हें हेलीकॉप्टर की सहायता से एयरलिफ्ट करने की तत्काल व्यवस्था की जाए। पुराने जीणं क्षीर्ण भवनों को चिन्हित कर सुरक्षात्मक व्यवस्था की जाए और आवश्यकता होने पर निवासियों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए। पुराने भवनों और दीवारों के गिरने के कारण किसी तरह की अनहोनी नहीं होना चाहिए

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