Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन से पहले व्योममित्र होगा लॉन्च, ISRO अध्यक्ष वी. नारायणन ने दी जानकारी

Gaganyaan Mission: नई दिल्ली: भारत का महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन, जो देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, अब 2027 की पहली तिमाही में लॉन्च होगा। मूल रूप से 2022 में प्रस्तावित इस मिशन में तकनीकी चुनौतियों और अन्य कारणों से लगभग पांच साल की देरी हो चुकी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने हाल ही में इसकी जानकारी दी।
Gaganyaan Mission: नारायणन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "पहला मानव मिशन अब 2027 की पहली तिमाही में होगा।" उन्होंने बताया कि इसरो इस मिशन से पहले मानव रहित मिशनों को अंजाम देगा। इस साल के अंत तक पहला मानव रहित मिशन लॉन्च किया जाएगा, जबकि 2026 में दो और मानव रहित मिशन होंगे। इन मिशनों में एक अर्ध-मानव रोबोट 'व्योममित्र' को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। नारायणन ने आगे कहा, "इसरो अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने से पहले मानवरहित मिशन के हिस्से के रूप में एक अर्ध-मानव रोबोट 'व्योममित्र' को अंतरिक्ष में भेजेगा।"
Gaganyaan Mission: मिशन की शुरुआत और देरी के कारण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में गगनयान मिशन की घोषणा की थी और 2022 तक भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान का लक्ष्य रखा था। हालांकि, कोविड-19 महामारी ने अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण को बाधित किया और मिशन से जुड़ी तकनीकों को विकसित करने में भी अपेक्षा से अधिक समय लगा।
Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन का उद्देश्य
गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर निचली कक्षा में भेजा जाएगा, जहां वे कुछ दिन बिताएंगे और फिर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लौटेंगे। इसरो ने इसके लिए पर्यावरण नियंत्रण और जीवन समर्थन प्रणाली (ईसीएलएसएस) विकसित की है, जो अंतरिक्ष यान के अंदर तापमान, हवा की गुणवत्ता, दबाव, नमी और अंतरिक्ष यात्रियों की स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को नियंत्रित करेगी।
Gaganyaan Mission: तकनीकी प्रगति और चुनौतियां
नारायणन ने मिशन की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा, "यह बहुत जटिल प्रक्रिया है। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है और अब हम अंतिम परीक्षण के चरण में हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि दिसंबर में पीएसएलवी रॉकेट के जरिए दो उपग्रहों के साथ किया गया अंतरिक्ष डॉकिंग परीक्षण सफल रहा। इसरो अब इसके अगले चरण, स्पैडेक्स-2, की तैयारी कर रहा है, जिसका प्रस्ताव जल्द ही सरकार को भेजा जाएगा।