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Delimitation Dispute: परिसीमन पर ममता मौन तो अखिलेश साइलेंट, मोदी को घेरने से पहले ही बिखर गया विपक्ष


- Pradeep Sharma
- 23 Mar, 2025
Delimitation Dispute: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन परिसीमन के मुद्दे को लेकर चेन्नई में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक बुलाई थी। इस बैठक में ओडिशा और पंजाब के अलावा दक्षिणी राज्यों के कांग्रेस नेताओं ने भी हिस्सा लिया।
नई दिल्ली। Delimitation Dispute: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन परिसीमन के मुद्दे को लेकर चेन्नई में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक बुलाई थी। इस बैठक में ओडिशा और पंजाब के अलावा दक्षिणी राज्यों के कांग्रेस नेताओं ने भी हिस्सा लिया। हालांकि पहली ही बैठक में हिंदी पट्टी और महाराष्ट्र की पार्टियों ने खुद को अलग कर लिया। वहीं टीएमसी भी इस बैठक में शामिल नहीं हुई। ऐसे में परिसीमन के मुद्दे पर पूरा विपक्ष एकजुट नहीं दिखा है।
Delimitation Dispute: बैठक में क्यों नहीं पहुंची सपा
दक्षिण के राज्यों का कहना है कि अगर जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया गया तो उनकी सीटें कम हो जाएंगी। लोकसभा सीटों का परिसीमन 2026 की जनगणना के बाद होना है। डीएमके ने इस बैठक में उत्तर के विपक्षी दलों को नहीं बुलाया। इसमें सपा और आरजेडी के अलावा कई पार्टियां भी शामिल थीं। इसके अलावा महाराष्ट्र से शिवसेना और एनसीपी भी शामिल नहीं थी। बैठक में टीएमसी को बुलाया गया था लेकिन, टीएमसी ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
Delimitation Dispute: पश्चिम बंगाल में बढ़ेंगी सीटें
अगर 1977 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो औसतन 10.11 लाख लोगों पर एक सांसद होता था। अब अगर परिसीमन होता है तो उत्तरी राज्यों और पश्चिम बंगाल में सीटें बढ़ेंगी। पश्चिम बंगाल में लोकसभा की सीटें 42 से बढ़कर 66 हो सकती हैं। ऐसा तब होगा जब 15 लाख की आबादी को आधार माना जाएगा। वहीं अगर 20 लाख की आबादी के आधार पर परिसीमन होता है तो भी पश्चिम बंगाल में 50 सीटें होंगी।
Delimitation Dispute: यही वजह है कि टीएमसी ने अभी तक इस मामले पर अपना रुख साफ नहीं किया है। क्योंकि बंगाल में ममता मजबूत हैं। वहीं खबरों की मानें तो समाजवादी पार्टी भी अभी इस मामले पर चर्चा नहीं करना चाहती है। समाजवादी पार्टी मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश की पार्टी है और आबादी के आधार पर उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सीटें जरूर बढ़ेंगी।
Delimitation Dispute: क्या हैं साउथ के समीकरण
परिसीमन के बाद तमिलनाडु में भी सीटें बढ़ेंगी, हालांकि इनकी संख्या दोगुनी नहीं होगी। केरल में 20 से 36 सीटें बढ़ सकती हैं। अगर 20 लाख की आबादी के आधार पर परिसीमन किया जाता है तो लोकसभा सीटों की संख्या 543 से बढ़कर 707 हो जाएगी। ऐसे में दक्षिणी राज्यों को सीटों का नुकसान होना तय है।
Delimitation Dispute: इस फॉर्मूले से तमिलनाडु के पास सिर्फ 39 सीटें रह जाएंगी। केरल को दो सीटों का नुकसान होगा। इसका फायदा यूपी, बिहार और झारखंड को होगा। अगर 15 लाख की आबादी के आधार पर परिसीमन किया जाता है तो कुल सीटों की संख्या बढ़कर 942 हो जाएगी। दक्षिणी राज्यों को उत्तरी राज्यों के मुकाबले कम सीटें मिलेंगी।
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