Ash Holi of Kashi : काशी की अद्भुत चिता भस्म होली, जब महादेव श्मशान में भूत-प्रेत और गणों के साथ खेलते हैं रंग...

- Rohit banchhor
- 10 Mar, 2025
रंगभरी एकादशी के ठीक एक दिन बाद, मणिकर्णिका घाट पर यह अद्भुत होली मनाई जाती है, जो काशीवासियों के लिए विशेष महत्व रखती है।
Ash Holi of Kashi : वाराणसी। होली का त्योहार जहां पूरे देश में रंगों और उल्लास से भरा होता है, वहीं काशी की होली अपने आप में अनूठी और रहस्यमयी है। यहां महादेव अपने गणों और भूत-प्रेतों के साथ श्मशान में चिता भस्म की होली खेलते हैं। यह नज़ारा दुनिया में और कहीं नहीं देखने को मिलता। रंगभरी एकादशी के ठीक एक दिन बाद, मणिकर्णिका घाट पर यह अद्भुत होली मनाई जाती है, जो काशीवासियों के लिए विशेष महत्व रखती है।
Ash Holi of Kashi : इस साल 11 मार्च को मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म होली का आयोजन किया जाएगा। महाश्मशान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर के अनुसार, सुबह से ही भक्त चिता भस्म से होली खेलने की तैयारियों में जुट जाते हैं। जहां आम दिनों में दुःख और विछोह का माहौल होता है, वहां इस दिन शहनाई की मंगल ध्वनि गूंजती है। भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है।
Ash Holi of Kashi : पौराणिक मान्यता और परंपरा-
गुलशन कपूर ने बताया कि मान्यता है कि महादेव दोपहर में मणिकर्णिका तीर्थ पर स्नान करने आते हैं। यहां स्नान करने वालों को पुण्य की प्राप्ति होती है। स्नान के बाद भोलेनाथ अपने गणों के साथ श्मशान में चिता भस्म से होली खेलते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और भक्त इसे बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं।
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— Live VNS (@livevns) March 10, 2025
Ash Holi of Kashi : रंगभरी एकादशी से शुरू होता है उत्सव-
रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना (विदाई) कराकर उन्हें काशी लाते हैं। इस दिन से ही होली के रंगों का त्योहार शुरू हो जाता है। गुलशन कपूर के अनुसार, इस दिन देवी-देवता, यक्ष, गंधर्व और भक्तगण सभी इस उत्सव में शामिल होते हैं। लेकिन भूत-प्रेत और पिशाचों का इस दिन आना वर्जित होता है। इसलिए, महादेव अपने गणों के साथ श्मशान में चिता भस्म की होली खेलते हैं।
Ash Holi of Kashi : मसान नाथ मंदिर की अनूठी परंपरा-
महाश्मशान नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्रिका प्रसाद गुप्ता ने बताया कि मसान नाथ मंदिर के अंदर ही बाबा के साथ होली खेलने की परंपरा है। उन्होंने कहा, इस होली का स्वरूप बेहद सौम्य और आध्यात्मिक हुआ करता था, लेकिन समय के साथ इसमें कुछ बदलाव आ गए हैं। हम इस बार परंपरा का पूरी तरह से पालन करेंगे।
Ash Holi of Kashi : दुनिया भर से आते हैं दर्शनार्थी-
काशी की इस अनूठी होली को देखने के लिए दुनिया भर से लोग वाराणसी आते हैं। जलती चिताओं के बीच होने वाला यह उत्सव आस्था और रहस्य का अद्भुत संगम है। काशीवासियों के लिए यह दिन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। काशी की चिता भस्म होली न केवल एक त्योहार है, बल्कि जीवन और मृत्यु के बीच के अदृश्य संबंध को दर्शाने वाला एक अनूठा आयोजन है, जो भक्तों को महादेव के और करीब ले जाता है।