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Subhash Chandra Bose : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती पर विशेष लेख, एक महान नेता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी...

Subhash Chandra Bose

नेताजी की जयंती के मौके पर हम उनके जीवन और संघर्ष को याद करते हैं, जिनकी वीरता और देशभक्ति ने भारत की स्वतंत्रता की दिशा को नया मोड़ दिया।

Subhash Chandra Bose : नई दिल्ली। आज 23 जनवरी को देशभर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती मनाई जा रही है। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महानायक माना जाता है और उनका योगदान भारतीय इतिहास में हमेशा अमिट रहेगा। इस दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत 2021 में की गई थी। नेताजी की जयंती के मौके पर हम उनके जीवन और संघर्ष को याद करते हैं, जिनकी वीरता और देशभक्ति ने भारत की स्वतंत्रता की दिशा को नया मोड़ दिया।


Subhash Chandra Bose : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवन की 10 महत्वपूर्ण बातें-


जन्म और परिवार-
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनका परिवार एक समृद्ध और शिक्षित बंगाली परिवार था। उनके पिता जानकीनाथ बोस एक प्रसिद्ध वकील थे।
शिक्षा और आईसीएस- उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस (
ICS) में चौथा स्थान प्राप्त किया था, लेकिन भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए उन्होंने इस प्रतिष्ठित पद को त्याग दिया।
पराक्रम दिवस- 2021 से नेताजी की जयंती को
पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि उनके योगदान को याद किया जा सके।
गांधीजी से मतभेद- नेताजी गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत से सहमत नहीं थे। उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में हिंसक प्रतिरोध की रणनीति को अपनाया, जबकि गांधीजी अहिंसा में विश्वास रखते थे।
नेताजी की इकलौती बेटी- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ऑस्ट्रियाई युवती एमिली से शादी की थी, और उनका एक बेटी अनीता बोस थी, जो वर्तमान में जर्मनी में रहती हैं।
आजाद हिंद सरकार- नेताजी ने 1943 में सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की, जिसे जर्मनी, जापान और फिलीपींस जैसे देशों ने मान्यता दी थी।
आजाद हिंद फौज- नेताजी ने आज़ाद हिंद फौज की कमान संभाली और 1944 में बर्मा (अब म्यांमार) में भारतीय सैनिकों को प्रेरित करते हुए तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया।
नाजियों से संबंध के आरोप- नेताजी ने युद्ध के दौरान नाजी जर्मनी और जापान से समर्थन मांगा, जिसके बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
आजाद हिंद रेडियो- सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी में आजाद हिंद रेडियो की शुरुआत की थी, जिससे भारतीयों में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास किया।
नेताजी का रहस्यमयी अंत- 18 अगस्त 1945 को ताइपेई में एक विमान दुर्घटना के बाद नेताजी लापता हो गए। हालांकि, उनके जीवन और मृत्यु को लेकर कई आयोगों द्वारा जांच की गई, लेकिन उनकी मौत का रहस्य अभी भी अनसुलझा है।

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