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Farmers Movement : सुप्रीम कोर्ट की किसान आंदोलनकारियों को नसीहत: हाईवे न रोकें, जनता की सुविधा का ख्याल रखें...

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यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने डल्लेवाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।

Farmers Movement : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब और हरियाणा को जोड़ने वाले खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को सख्त निर्देश दिए। अदालत ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से कहा कि वे प्रदर्शनकारी किसानों को समझाएं कि वे राजमार्गों को बाधित न करें और जनता की सुविधाओं का ख्याल रखें। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने डल्लेवाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।


Farmers Movement : खनौरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन और डल्लेवाल की गिरफ्तारी-

खनौरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है, जिसमें कई किसान नेता और प्रदर्शनकारी एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ किसान आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। इसी दौरान, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को पुलिस ने खनौरी बॉर्डर से हिरासत में लिया था, लेकिन अदालत में सुनवाई के दौरान यह बताया गया कि उन्हें पुलिस ने कथित हिरासत से रिहा कर दिया है और अब वे फिर से प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं।


Farmers Movement : सुप्रीम कोर्ट का आदेश और लोकतांत्रिक अधिकार-

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि इस प्रदर्शन के कारण जनता को किसी प्रकार की असुविधा न हो। अदालत ने डल्लेवाल से कहा कि वे प्रदर्शनकारी किसानों को यह समझाएं कि वे अपनी आवाज उठाने के अधिकार का उपयोग करते हुए दूसरों की परेशानियों का कारण न बनें।


Farmers Movement : कोर्ट ने कहा, "आप सभी जानते हैं कि खनौरी बॉर्डर पंजाब के लिए लाइफलाइन की तरह है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि प्रदर्शन सही है या गलत, लेकिन प्रदर्शन से आम जनता को परेशानी नहीं होनी चाहिए।" जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुयां की बेंच ने डल्लेवाल से यह भी कहा कि उन्हें प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्वक आंदोलन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे किसी भी नागरिक को कोई दिक्कत न हो।


Farmers Movement : जनता और आंदोलनकारियों के बीच संतुलन का महत्व-

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आंदोलनकारी किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है, जिसमें उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार तो माना, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि इस अधिकार का उपयोग जनता की भलाई और सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए। अब देखना यह होगा कि किसान नेता इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं और क्या उनके प्रदर्शन में कोई बदलाव आता है, ताकि लोगों को परेशानी न हो।

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